श्रीमद भागवत गीता के कुछ अध्याय पढे थे
कभी बचपन मे और मेरा उसे पढने का कोई
उद्देश्य नही था मे तो सिर्फ उसमे से कुछ
कहानीया पढना चाहता था क्यूकि उस समय
उम्र सिर्फ 12 साल थी, तो जब किताब खोल
कर पढे तो बडा बोरिँग अनुभव किये और पन्ने
पलटने लगे कि आगे कुछ कहानीया मिल जाये
शायद. पन्ने पलटते -पलटते एक
फोटो आया बीच मे जिसमे श्री कृष्णा रथ पर
खडे थे और अर्जुन घुटने के बल बैठे थे हाथ
जोडकर उसके सामने वाले पेज पर कुछ संवाद थे
जिसमे अर्जुन भगवान से कुछ जिज्ञासा भरे
सवाल पूछ रहे थे उसे मैने शुरुआत से पढा तो
अर्जुन-हे वसुदेव क्या आज रणभूमी मे
जो विपक्ष कि तरफ जो मेरे स्वजन खडे है
क्या उनके विरूध्द शस्त्र उठाना पाप नही ?
श्री कृष्णा - हे अर्जुन अगर स्वजन भी अधर्म
कि तरफ से खडे हो तो भी एक तुम्हे धर्म
कि लिये और क्षत्रिय होने के नाते अपने
क्षत्रिय धर्म के पालन के लिये युध्द
लडना चाहिये
अर्जुन-हे प्रभु क्या होति है धर्म
कि परिभाषा ? क्या धर्म यह
नही कहता कि परिवार के सदस्यो का वध
करना एक पाप है अधर्म है और फिर जब समस्त
मानवो का एक हि धर्म है मानवता तो फिर यह
क्षत्रिय,ब्राह्मण,वैश्य,शूद्र धर्म अलग अलग
कैसे हो गये ?
भगवान - हे गांडिवधारी इस संसार मे धर्म
कि परिभाषाये हर व्यक्ति ने अपनी सुविधानुसार
बनाई है किसी को पता नही कि वास्तविकता मे
धर्म है क्या ? और क्यू मानव
सभ्यता को इसकि जरूरत
पडि क्या आवश्यकता थी ऐसे नियमो जो बंधन
मे जकडे एक स्वछंद मानव को ?
अर्जुन-प्रभु कृपया करके मुझे बताये
कि मेरा धर्म क्या है और कैसे मेरा धर्म
परिस्थीतियो के अनुसार बदलता है धर्म के जन्म
कि सार्थकता क्या है
भगवान -हे कोंतेय धर्म का अर्थ होता है
धारण करने वाला आर्थात कि जो हमे धारण
करता है , ना कि हम उसे धारण करे धर्म
का अभिप्राय यह कदापि नही के आप
किसी समुदाय,वर्ण,वंश या राज्य मे जन्म ले
तो आपका धर्म वो हो गया
धर्म का अभिप्राय है कि आप उन
नियमो का पालन करे जो सबके हित मे जाये
दुराचार करने वालो का विरोध करे सदाचार
करने वालो कि रक्षा करे समाज को प्रदुषित
होने से बचाये
आप अगर क्षत्रिय कुल मे जन्मे
तो आपका धर्म है कहता है कि आप समाज और
देश मे शांति बनाये व्यक्तियो को अपना जीवन
यापन के लिये सुरक्षा दे गलत और अधार्मिक
लोगो को प्रेमपूर्वक या बलपूर्वक उस मार्ग से
हटाये जो अंशाति और व्देष फैलाता है गलत
का विरोध करे और सत्य का साथ दे
अगर आप ब्राह्मण है तो आप ज्ञान अर्जित
करे जितना संभव बने समाज और देश को ज्ञान
के पथ पर लेकर चले ज्ञान बाटे कुछ अच्छा दे
सोच को जन्म दे जो व्यक्तियो के जीवन
को एक दिशा दे पथ दे और विकास के मार्ग
खुले .....
~हिमांशु वोरा