सोमवार, 30 जून 2014

पुतले से प्यार!!

वह कपड़ो की दूकान में काम करता था। उसे एक
पुतले से प्यार हो गया। इतना सुन्दर पुतला!
किसी इंसान का तो ऐसा होना संभव ही नहीं हैं।
"मैं इस पुतले से ही शादी करूँगा।" उसने कहा।
"मैं इसके साथ ही पूरी ज़िन्दगी बिताऊंगा।"
"यह संभव नहीं हैं।" एक समझदार ने समझाया।
"तुम एक पुतले के साथ नहीं रह सकते, उसके साथ
पूरी ज़िन्दगी नहीं बिता सकते।"
"ऐसा क्यों?"उसने पूछा।
"क्योंकि पुतले तुम्हारी भावनाएं नहीं समझेंगे, वे
तुम्हारा दर्द नहीं समझेंगे, तुम उनके साथ हंस
नहीं सकते, रो नहीं सकते।" समझदार ने कहा।
"तो फिर तुमने मंदिरों में इतने पुतले क्यों भर रखे हैं?"
उसने सवाल किया।

~सुमित मेनारिया

धर्मं अर्थ- भागवद गीता

श्रीमद भागवत गीता के कुछ अध्याय पढे थे
कभी बचपन मे और मेरा उसे पढने का कोई
उद्देश्य नही था मे तो सिर्फ उसमे से कुछ
कहानीया पढना चाहता था क्यूकि उस समय
उम्र सिर्फ 12 साल थी, तो जब किताब खोल
कर पढे तो बडा बोरिँग अनुभव किये और पन्ने
पलटने लगे कि आगे कुछ कहानीया मिल जाये
शायद. पन्ने पलटते -पलटते एक
फोटो आया बीच मे जिसमे श्री कृष्णा रथ पर
खडे थे और अर्जुन घुटने के बल बैठे थे हाथ
जोडकर उसके सामने वाले पेज पर कुछ संवाद थे
जिसमे अर्जुन भगवान से कुछ जिज्ञासा भरे
सवाल पूछ रहे थे उसे मैने शुरुआत से पढा तो
अर्जुन-हे वसुदेव क्या आज रणभूमी मे
जो विपक्ष कि तरफ जो मेरे स्वजन खडे है
क्या उनके विरूध्द शस्त्र उठाना पाप नही ?
श्री कृष्णा - हे अर्जुन अगर स्वजन भी अधर्म
कि तरफ से खडे हो तो भी एक तुम्हे धर्म
कि लिये और क्षत्रिय होने के नाते अपने
क्षत्रिय धर्म के पालन के लिये युध्द
लडना चाहिये
अर्जुन-हे प्रभु क्या होति है धर्म
कि परिभाषा ? क्या धर्म यह
नही कहता कि परिवार के सदस्यो का वध
करना एक पाप है अधर्म है और फिर जब समस्त
मानवो का एक हि धर्म है मानवता तो फिर यह
क्षत्रिय,ब्राह्मण,वैश्य,शूद्र धर्म अलग अलग
कैसे हो गये ?
भगवान - हे गांडिवधारी इस संसार मे धर्म
कि परिभाषाये हर व्यक्ति ने अपनी सुविधानुसार
बनाई है किसी को पता नही कि वास्तविकता मे
धर्म है क्या ? और क्यू मानव
सभ्यता को इसकि जरूरत
पडि क्या आवश्यकता थी ऐसे नियमो जो बंधन
मे जकडे एक स्वछंद मानव को ?
अर्जुन-प्रभु कृपया करके मुझे बताये
कि मेरा धर्म क्या है और कैसे मेरा धर्म
परिस्थीतियो के अनुसार बदलता है धर्म के जन्म
कि सार्थकता क्या है
भगवान -हे कोंतेय धर्म का अर्थ होता है
धारण करने वाला आर्थात कि जो हमे धारण
करता है , ना कि हम उसे धारण करे धर्म
का अभिप्राय यह कदापि नही के आप
किसी समुदाय,वर्ण,वंश या राज्य मे जन्म ले
तो आपका धर्म वो हो गया
धर्म का अभिप्राय है कि आप उन
नियमो का पालन करे जो सबके हित मे जाये
दुराचार करने वालो का विरोध करे सदाचार
करने वालो कि रक्षा करे समाज को प्रदुषित
होने से बचाये
आप अगर क्षत्रिय कुल मे जन्मे
तो आपका धर्म है कहता है कि आप समाज और
देश मे शांति बनाये व्यक्तियो को अपना जीवन
यापन के लिये सुरक्षा दे गलत और अधार्मिक
लोगो को प्रेमपूर्वक या बलपूर्वक उस मार्ग से
हटाये जो अंशाति और व्देष फैलाता है गलत
का विरोध करे और सत्य का साथ दे
अगर आप ब्राह्मण है तो आप ज्ञान अर्जित
करे जितना संभव बने समाज और देश को ज्ञान
के पथ पर लेकर चले ज्ञान बाटे कुछ अच्छा दे
सोच को जन्म दे जो व्यक्तियो के जीवन
को एक दिशा दे पथ दे और विकास के मार्ग
खुले .....

~हिमांशु वोरा

पिताजी

तो भैया आज पिता जी दिवस था मतलब
कि फादर्स डे आज सवेरे सवरे हि मित्रो के
पोस्ट देखे हम ने भी पूरा दिन
सोचा कि चलो अब कुछ लिखे पर
क्या लिखना चाहिये इसके बारे मे कंफ्यूज थे
क्योकि पिजा जी के साथ यादे कम
तो होति नही ना हि हम उन्हे भूल सकते है जब
याद करने जाओ तो याद आ हि जाता है
अपनी हर छोटि जिद को पूरा करने कि खातिर
उनके चेहरे पर आई शिकन
भी हमारी खुशी देखकर गायब
हो जाती कभी हम ये जताये
नही कि उनकि उपस्थिती के मायने क्या थे
जीवन मे क्योकि एक समय जब हम उनके काम
से लौटने का इंतजार करते और उनके आने पर
दौड कर चिपक जाते उनसे तब शायद हमको अंह
नही था अपनी समझदारी का पर समय के साथ
हमेशा कोशिश किये कि अपने पिता का सर
कभी निचे हो किसी और के सामने
ना कभी मौका दिये
पिताजी को कि वो किसी और के बेटे
का उदाहरण देकर हमे समझाये
हर बार हम अपनी हर इच्छा पूरी करवा कर
मानते चाहे फिर उनकि जेब पर कितना भारी पडे
पर वो कभी ये नही जताते कि वो परेशान है
हमसे
चाहे पप्पू कि 3 पहिये वाली सायकल
हो या उस बिट्टू का नया वीडियो गेम हो उससे
अच्छा लाकर देते
हा कभी कभार जब रिर्पोटकार्ड पर साईन लेने
कि बात आति तब जरूर डरते पर
पिताजी कभी हाथ नही उठाये ना कभी डाँटे
पर फिर भी डर रहता था उनका
पर जिसकि उंगली पकड चलना सिखा जिसने
सहि गलत मे अंतर बताया जिसने तुम कि जगह
आप बोलना सिखाया जिसने 2 रूपये
कि कुल्फि कि जगह 10 कि आईसक्रिम दिलवाई
जिसने हमारे जन्म से पहले हमारे भविष्य
कि योजनाये बना लि जिसे
हमेशा चिँता रहा करती थी कि कोई हमे परेशान
ना करे मम्मी के डाटने पर
मम्मी को उल्टा डाटना कि बच्चा है
गलतिया नही करेगा तो क्या बडा होकर करेगा
जब A B C D तक बोलना नही आति तब सिर्फ
उन्हि कि नकल करके भजन याद किये
उन्हे हमसे हमेशा आशाये थी हमारे जन्म से पहले
भी ओर हमारे जन्म होने पर भी और शायद
हमेशा रहेगी
तो आज भी जब टीवि पर गाना आता है
पापा कहते है बडा नाम करेगा
शायद उन्हे हमारा ख्याल और हमारे जहन मे
एक बडि जिम्मेदारी को याद
दिला देता कि किसी कि आशाये है आप से मुझ
से तो कोशिश ये करे कि उन आशाओ को पहले
पूरा करे क्यूकि उनकि किमत शायद
पूरी दुनिया के खजाने से ज्यादा होगी

~हिमांशु वोरा