शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

August 29, 2014 at 06:36PM

फ़ोन से जुड़े कुछ तथ्य--- >>कुछ लोग जब रात को अचानक फोन का बैलेंस ख़त्म होजाता है इतना परेशान हो जाते हैं माने जैसे सुबह तक वो इन्सान जिंदा ही नहीं रहेगा जिससे बात करनी थी। >> कुछ लोग जब फ़ोन की बैटरी 1-2% हो तो चार्जर की तरफ ऐसे भागते है जैसे उससे केह रहे हो "तुझे कुछ नहीं होगा भाई ! आँखे बंद मत करना मैं हूँ न ! सब ठीक हो जायेगा। >>कुछ लोग अपने फोन में ऐसे पैटर्न लॉक लगाते हैं जैसे आई एस आई की सारी गुप्त फाइलें उनके फ़ोन में ही पड़ी हो। >>कुछ लोग जब आपसे बात कर रहे होते हैं तो बार बार अपने फ़ोन को जेब से निकालते हैं, लॉक खोलते हैं और वापस लॉक कर देते हैं...वास्तव में वे कुछ देखते नहीं हैं, बस ये जताते हैं कि वो जाना चाहते हैं। >>गलती से फ़ोन किसी दुसरे दोस्त के यहाँ छुट जाए तो ऐसा महसूस होता हैं जैसे अपनी भोली-भाली गर्लफ्रेंड को शक्ति कपूर के पास छोड़ आये हो। >> अगर कोई फ़ोन में टाइप कर रहा हो और आपके देखते ही फ़ोन लॉक कर ले तो समझ लीजिये कि . . . . . . . . बेचारा किसी पेज का एडमिन पोस्ट बना रहा हैं। ;-) :-) #संकलित #ईलयास

गुरुवार, 28 अगस्त 2014

आज के सीरियल

लड़के का अपनी पत्नी के साथ अफेयर हैं लेकिन
वो अपनी बीवी को इसके बारे में बता नहीं सकता,
मज़बूरी में लड़के को छुप छुपकर अपनी पत्नी के साथ
अफेयर करना पड़ता हैं, इससे दुखी होकर वाइफ घर
छोड़ कर अपने ससुराल चली जाती हैं और अपने
हस्बैंड के साथ ख़ुशी ख़ुशी रहने लगती हैं। इधर एक
दिन बीवी को लड़के के पत्नी के साथ अफेयर के
बारे में पता चल जाता हैं और वो घर छोड़ कर जाने
लगती हैं, लेकिन पत्नी उसे रोक लेती हैं......
यह 'बालिका वधु' सीरियल की कहानी हैं।
वो दुखियारा लड़का जग्या हैं
पत्नी उसकी वर्तमान पत्नी गंगा,
बीवी उसकी दूसरी बीवी गौरी और वाइफ
उसकी पहली वाइफ आनंदी हैं।
अब जब हमारे घर की महिलायें ये सब बड़े चाव से
देखती हैं, हम घर जाते हैं और बाजार से सब्जी लेकर न
जाए और मम्मी/वाइफ आप पर बरस पड़े तो सोच
लीजिये इसमें उनकी कितनी गलती हैं?

मंगलवार, 19 अगस्त 2014

पाप या पुण्य

पाप या पुण्य?

(सुमित मेनारिया)

वो मेले में पिंजरा लेकर खड़ा था, पंछियों से भरा पिंजरा। वो उन्हें बेच नहीं रहा था। आप उसे पैसे दीजिये और वो उन्हें मुक्त कर देगा।
"इन्हें उड़ाने से क्या होगा?" मैंने पूछा।
"पुण्य मिलेगा, साहब!"
"और तुम इन्हें वापस पकड़ लाओगे?"
"हाँ जी।" वो धीरे से बुदबुदाया।
"तो तुम्हे पाप नहीं लगेगा।"
"लगेगा लेकिन पापी पेट के लिए सब करना पड़ता हैं।"
मैंने अपनी बंदुक निकाली और उसे गोली मार दी।

सोमवार, 18 अगस्त 2014

कोचिंग

शहर में एक कोचिंग सेंटर हैं 'शाह कोचिंग क्लासेज' जहां साल भर आपके कोर्स की कोचिंग करवाई जाती हैं। यहाँ की सारी फैकल्टी नार्मल हैं लेकिन एक ख़ास बात हैं कि साल के अंत में एक विशेष गुरूजी आते हैं। किसी को ये नहीं पता हैं कि वो गुरूजी कौन हैं? उनकी बस एक ही क्लास होती हैं और वो भी अंतिम, लेकिन ये गारंटी हैं वो अंतिम क्लास ज्वाइन करने के बाद आप आराम से पास हो जाएंगे। आप पुरे साल उस कोचिंग सेंटर से कोचिंग करते हैं। उस नार्मल फैकल्टी से पढ़ते हैं और उस अंतिम क्लास के लिए पूरी मेहनत करते हैं। लेकिन जब आप अंतिम क्लास ज्वाइन करते हैं तो चौंक जाते हैं! ये क्या? ये विशेष गुरुजी तो आपके पड़ोस वाले 'भंडारी सर' हैं। इनका तो अपना खुद का कोचिंग सेंटर हैं। आप क्या करेंगे? शायद आप अपने सारे दोस्तों को इस बारे में बताएँगे और खुद अगले साल 'भंडारी कोचिंग क्लासेज' ज्वाइन कर लेंगे। लेकिन आप ऐसा नहीं करते हैं। आप अपने दोस्तों को भी इस बारे में नहीं बताते हैं और खुद भी अगले साल वापस वही कोचिंग सेंटर ज्वाइन कर लेते हैं। गुरूजी की विशेष क्लास के लिए.... ------------------------ चलिए अब इसी बात को दुसरे तरीके से समझते हैं। वास्तव में कोई नहीं जानता की वो विशेष गुरु कौन हैं? वो भंडारी सर हैं ये बात तो खूद भंडारी कोचिंग सेंटर के स्टूडेंट्स कहते हैं। शाह कोचिंग क्लासेज के स्टूडेंट्स खुद कभी ये नहीं बताते कि वो भंडारी सर हैं। वे तो ये भी नहीं बताते की वो विशेष गुरु कौन हैं? तो क्या इसका यह मतलब निकाल लिया जाए कि वो भंडारी सर ही हैं और अगर ऐसा हैं तो शाह कोचिंग क्लासेज के स्टूडेंट्स भंडारी क्लासेस से ही कोचिंग क्यों नहीं करते?? काबा में शिवलिंग हैं या नहीं कोई नहीं जानता। लेकिन अगर हैं, तो सारे मुस्लिम जो हज पर जाते हैं, वहां से लौटने के बाद हिन्दू धर्म क्यों नहीं अपना लेते??

शनिवार, 16 अगस्त 2014

श्री कृष्णा के बारे में भ्रम

इंडियन मायथोलोजी मे श्री कृष्णा का जो स्थान है। वो आपको बताता है। शक्ति और बुध्दि का प्रयोग कैसे किया जाये, अवतारो मे श्री राम एक आदर्श पुरूष ,बेटा, पति, भाई ,मित्र का उदाहरण है। पर श्री कृष्णा भी ठीक उसी तरह एक उदाहरण है एक अच्छे मित्र, सखा,भाई,पुत्र के. पर अंतर क्या है दोनो मे ? अंतर है जहा श्री राम आपको आदर्श बनना सिखाते है। वही श्री कृष्णा आपको समय के साथ परिर्वतन और कूटनीति बताते है। श्री कृष्णा को अधिकतर जनमानस गोपियो के साथ रास लीला रचाते या शरारत करते बच्चे के रूप मे जानता है । पर आप गौर कर के देखिऐ आप पायेँगे की वो एक बेहतरीन नीति निर्माणकर्ता और कूटनीति के पहले जानकार थे । अधर्म पर धर्म की विजय तो रामायण भी बताती है । पर कृष्ण लीला आपको बताती है की समय के साथ धर्म भी बदलता है ! और अधर्म भी बढता है तो आप को अपनी नीतिया बदलनी पडती है ! अगर सतयुगी प्रभु श्री राम त्रेतायुग मे उन्ही नीतियो के सहारे चलता तो क्या वो उन छलो को पहचान पाता ? क्या भीम जरासंध जैसे बलशाली को मार पाता? क्या लक्ष्यागृह से कोई बच पाता ? क्या अर्जुन कभी हिम्मत कर पाता अपनो के विरूद्ध युद्ध की ? दरसल कुछ नास्तिक सवाल खडा करते है अवतार पर पर वो भूल जाते है की चाहे वो अवतार ना थे चाहे वो भगवान ना थे चाहे सब कुछ काल्पनिक है पर फिर वो गलत के खिलाफ लडना तो सिखाते है । आप वैज्ञानिकता की बाते करते है । पर अगर कही गलत होता है तब आप चुपचाप सर झुका कर निकल लेते है । दरसल विषय आपकी नास्तिकता या आस्तिकता नहीँ. विषय है उन करोडो की उन भावनाओ को चोट पहुचाने का आप अंधविश्वास खत्म किजिऐ कोई दिक्कत नहीँ पर विश्वास पर प्रहार करने के आप अधिकारी नहीँ

गुरुवार, 14 अगस्त 2014

आजादी के मायने

आजादि बडा अजीब शब्द है! आजाद देश के वासी होने के बावजूद गुलामी तो हमारी नसो मे खून से ज्यादा भरी पडी है ! क्या मायने इस आजादी के ? आप आजाद है ! साल मे दो बार फेसबुक पर तिरगेँ का फोटो लगा लिया , फिर देशभक्ति कि एक आधी लाईने लिख दि. और आखिर मे जाकर दो चार फोटो शहीदो की लाईक करके आपने अपनी आजादि का सबूत दिया पर वास्तविकता मे आप मैँ हम सब आखिर रहे तो गुलाम. कभी भाषावाद के कभी धर्म के कभी जात के कभी दलगत राजनीति के कभी अपने लालच के और फिर भी अगर आजादी के सदुपयोग की बात की जाये तो हम अव्वल है । अरे भाई मनचाहा जहा पेशाब कर दिये,मनचाहा जहा थूक दिये इच्छा की सिगरेट पीने की तो ली एक जलाकर फूकने लगे अरे इतने आजाद है हम की कानून से डरना तो अलग कानून हमसे डरे. छात्रो को बस मे रियायत ना मिले तो बस मे आग लगा दि. कालेज मे नाकाबिल होने की वजह से एडमिशन ना मिले तो कालेज बंद आरक्षण ना मिले तो सडके बंद ट्रेन बंद मुद्दे पर सहमत ना हो तो संसद बंद अगर सब कुछ ठिक रहा तो दो चार बम धमाके होकर बता देँगेँ हमारी आजादि का मतलब हेलमेट ना पहनने की आजादी, गाडि मानक गति से तेज चलाने की आजादी लडकिया छेडने की आजादी लोगो को पिटने की आजादी दहेज मे गाडी ना मिले तो पत्नी को जलाने की आजादी. 5 साल से लेकर 20 साल तक की लडकी के साथ बलात्कार की आजादी ! अपने प्रेम को ठुकराने पर तेजाब फेकने की आजादी! अब भैया इतनी आजादि जिस देश मे हो उसके देशवासी अगर एक दिन आजादि दिवस पर खुशिया मना लिये तो मुझ जैसे गुलाम आदमी को बोलने का क्या हक अबे गधे थे जो मर गये 23, 24 साल की उम्र और बोल गये की इस आजादि की किमत समझना और मे साला इंटेलेक्चुएल फूल

काश हम गुलाम होते....

"काश! हम गुलाम होते...." कभी कभी मैं सोचता हूँ की हम आज़ाद क्यों हुए? काश हम गुलाम होते.... अधपके हिंगलिश ट्यूटर की जगह, असली अंग्रेज से अंग्रेजी सिखते.... लाठिया तो आज भी खाते हैं सच के लिए लड़ने पर, तब 'जय हिन्द' कह कर हंटर ही खाते.... पटरीयां-सड़के तो वो भी बीछा ही रहे थे, कम से कम पूरा एक रुपया तो पहुचाते... बिक चुका हैं हर चैनल हर अखबार, देशप्रेम की खातिर कुछ अखबार सच भी बताते... मस्ती से देते सारे पेपर अंग्रेजी में, अनुवादित हिंदी के झंझट से मुक्ति पाते... हिंदी के इस पेज की खातिर, गूगल इनपुट पर उँगलियाँ न गिसवाते... आज मेरे अपने ही बेच खा रहे हैं देश मेरा, गोरे-काले के भेद से ही, हम दुश्मन तो पहचान पाते.... वो मुर्ख थे जो लड़-मर गए, इस देश को आज़ाद कर गए... अंग्रेज बुरे रहे थे हम कौनसे अच्छे, दिल पर हाथ रखिये कौनसे सच्चे हैं, एक दिन का पर्व हैं, मना लीजिये, तिरंगे को प्रोफाइल पिक्चर बना लीजिये, सुबह कही घुमने चले जाइएगा, परिवार के संग पिकनिक मानियेगा, थोडी बहुत हो देशभक्ति तो टीवी चलाइए, उसपर कोई देशभक्ति की फिल्म लगाइए... कुछ बच्चो संग स्कूल जाइएगा, तालियाँ भिडिये, हौंसला बढ़ाइए, हो गया झंडा, मिल गयी छुट्टी, देशप्रेम की तस्सली झूठी... जाने किस खातिर वे फांसी पर झूल गए, वो देश आज़ाद कर गए पर ये भूल गए, केवल अंग्रेजो को भगाने से देश आबाद नहीं होता, देश नहीं बढता जब तक हर शख्स 'आज़ाद' नहीं होता.....

मंगलवार, 12 अगस्त 2014

तुम नास्तिक कैसे बने?

"तुम जानते हो जब तुम किसी से बेइम्तेहा प्यार करते हो और उसके बेवफा होने के बाद फिर उतनी ही नफरत, तब तुम वास्तव में उससे उतनी नफरत नहीं कर पाते। प्यार दफनाया जा सकता हैं मारा नहीं जा सकता। तुम उस शख्स से नफरत करते हो लेकिन उससे जुडी बाते, यादे सब तुम्हे अच्छी लगती हैं। वह बीज जो दफनाया जाता हैं पौधा बन जाता हैं। जब वो शख्स तुम्हारे सामने आता तुम नजरे फेर लेते हो लेकिन उसके जाने के बाद उसे देखते रहते हो। प्यार शायद ऐसा ही होता हैं...." ."....लेकिन मैंने तुमसे पूछा था कि तुम नास्तिक कैसे बने?" -सुमीत मेनारिया

शनिवार, 9 अगस्त 2014

ईश्वर से जुड़े कुछ प्रश्न?

प्रश्न अच्छा है यकीन है ईश्वर मे तो प्रमाण दिजिऐ ? अब प्रश्न नम्बर दो ईश्वर नही हैँ उसका प्रमाण आप दिजिऐ ? प्रश्न 3 ईश्वर की आवश्यकता क्यू है ? प्रश्न 4 ईश्वर की आवश्यकता क्यू नहीँ हैँ ? प्रश्न 5 क्या ईश्वर बुरा है ? तो फिर इतने व्यक्ति क्यू बेवजह मरते हैँ । प्रश्न 5 क्या ईश्वर अच्छा है ? तो क्यू इतने लोग मौत के करीब जाकर लौट आते है । वैसे प्रश्नो की सख्याँ तो कभी खत्म होने वालि नहीँ और इन पर विचार करे आप और मेँ और इनका रहस्य जाने इसके लिऐ हम काबिल नही. तो बेवजह आप और हम नास्तिकता या आस्तिकता की फटी चादर ओढे अपने को विवादित विषयो का हिस्सा बनाने की जगह अगर आप और मैँ मतलब की अगर हम सब सिर्फ मात्र मानव बनकर जीवन जीये ओर सिर्फ मानव बनकर अपनी मानवता निभा दे उतना शायद काफी होगा. बाकी अगर आप दिवार से सर फोडने के इच्छुक है और इतना समय रखते है तो रास्ते खुले है ! फिर आप भी जानते है की रोज हजारो नास्तिक पैदा होते है और हजारो आस्तिक भी किसी मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, चर्च मे खडे बैठे या दंडवत पाये जाते है सघर्ष किजिऐ अगर परिणाम पता हो तो पर सागर को तैरकर पार कर पाना अंसभव और आप दोनो तो अलग अलग छोर पर खडे होकर अपने को सागर का मालिक घोषित करने पर तुले है । बाकी सब ठिक है । राहुल अब भी सुबह स्कूल जाता है राजु अब भी रोज सवेरे कचरे मे से पाँलीथिन खोजता है । तो चलने दिजिऐ दोनो का जीवन आपकी नास्तिकता या आस्तिकता इनके जीवन मे कोई उलटफेर करने वाली नहीँ

मंगलवार, 5 अगस्त 2014

कैंडल मार्च

अबे चल न!
क्या करना हैं यार चलके? फ़ोकट में बोर होंगे और टाइम वेस्ट हैं कुछ
नहीं बदलना हैं.
तो हमें क्या बदलना हैं कल सन्डे हैं वैसे भी फ्री ही हैं, अखबार में फोटो भी आ
जाएगा.
कौनसा हमारा आएगा? आना तो लडकियों का ही हैं. टेंसुए टपकाता चहरा.
अखबार में नहीं आएगा तो फेसबुक पर डाल देंगे, कवर फोटो! और
छोरिया भी आएगी, टाइम पास हो जाएगा.
तू मूवी देखने के लिए बोल रहा था उसका क्या?
कौनसा रात रहना हैं, घंटे भर रुकेंगे और फिर वहां से मूवी चले जाएँगे.
ठीक हैं भाई डन.
अगले दिन पाल पर बलात्कार पीडिता के लिए कैंडल मार्च निकाला गया.
बड़ी मात्रा में युवा शामिल हुए.

-सुमित मेनारिया

सोमवार, 4 अगस्त 2014

चोर

"चोर" बस अपनी मंथर गति से आगे बढ़ रही थी. कुछ लोग ऊंघ रहे थे, कुछ आपस में बाते कर रहे थे, तो कुछ बस खिड़की से बाहर झाँक रहे थे. कंडक्टर गेट पर खड़ा सवारियों उतार और चढ़ा रहा था. बस एक स्टेशन पर रुकी और अचानक एक 10-12 साल की लड़की बस में भागते हुए चढ़ी और पीछे ही पीछे सीट पर जाकर दुबक गई. बिल्कूल जर्जर हालत में थी, फटे हुए कपडे, रूखे बाल, कई दिनों से धोया हुआ चेहरा, शायद कोई भीख मांगने वाली होगी. बस आगे बढ गई. सब अपने हाल में मगन हो गए. अगले स्टेशन पर बस रुकी. दो मुस्टंडे बस में चढ़े. "कहाँ गयी वो, इसी बस में तो चढ़ी थी?" "हाँ, हाँ, मैंने भी देखा था, यही बस थी" "कौन चाहिए?" कंडक्टर ने पूछा. "वो चोर साली, मेरे घर से चोरी कर के भागी हैं" "हाँ एक लड़की आई तो थी, शायद पीछे गयी होगी" तीनो ने पीछे नज़र गुमाई लेकिन कोई नज़र न आया. "ये यहाँ हैं, सीट के नीचे हैं" पीछे से एक आदमी चिल्लाया और वो दोनों बिजली की गति से पीछे पहुंचे. "निकल बाहर…" दोनों में से एक आदमी सीट के नीचे अन्धाधुन लाते मारने लगा. वो लड़की रोने चिल्लाने लगी लेकिन बाहर नहीं आई. तभी कंडक्टर आया और नीचे झुक कर बोला "देख छोरी! बाहर आ जा वरना बहुत मारेंगे" "नहीं मैं नहीं आउंगी" लड़की रोते हुए बोली. इस पर कंडक्टर ने उसका हाथ पकड़ा और बाहर खीच लिया. "मैं नहीं जाउंगी'' कहते हुए वो एक पढ़े लिखे आदमी के पीछे छिप गई. "लड़की सीधे तरीके से चली जा वरना पुलिस में दे देंगे" एक आदमी बोला. "पुलिस में दे दो… लेकिन मैं नहीं जाउंगी" "कैसे नहीं आएगी तू हमें जानती हैं की नहीं" मुस्तंड़ो में एक बोला और खींच कर बाहर ले गया. उनके बाहर जाते ही कंडक्टर ने राहत की सांस ली. चलो बला टली और बस वापस अपनी गति से बढ़ने लगी. ------ अगले दिन अखबार में खबर थी, "एक लड़की की लावारिश लाश सड़क किनारे मिली" फोटो छपी थी, हाँ वही थी. शायद बलात्कार भी हुआ था लेकिन गरीब की इज्जत इतनी ज्यादा नहीं हैं कि लुटने पर अखबार में छापी जाए. अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था. उस बस मैं पचास लोग थे, कुछ शिक्षित भी, पर एक की भी हिम्मत नहीं हुई जो पूछता की माजरा क्या हैं? अगर चोरी हुई थी चोरी का सामान कहाँ था, लड़की तो खाली हाथ थी. उसे सबके सामने लाते-घूंसे पड़ते रहे पर एक की हिम्मत न हुई की उस आदमी को रोक सके. सब तमाशबीन थे. शायद बस मैं उस एक लड़की को छोड़ कर बाकी सब "चोर" थे. -Sumit K. Menaria

रविवार, 3 अगस्त 2014

निरर्थक पढाई

आपने चाहे C.A., M.B.A. कुछ भी किया हो, आप
अपने आप को तब अनपढ़ महसूस करते हैं जब
आपका कोई पडोसी डॉक्टर की पर्ची लेकर
आता हैं और पूछता हैं
कि "बेटा जरा बताना कौनसी दवा लिखी हैं?"
भगवान कसम खुद पर धिक्कार महसूस होता हैं।

सानिया मिर्ज़ा- अतुल

लौंडे- लौंडिया, स्कर्ट- टांग,भागना -
भगाना ,फिल्म-खेल से जरा ऊपर उठना होगा,
दिमाग की सड़ांध बाहर फेंकनी होगी तब जाकर
बात समझ में आ सकेगी कि राष्ट्र राज्य और उसके
प्रतीक(symbols) क्या होते हैं..? हार्लिक्स-
व्हिस्पर का ब्रांड अम्बेसडर बनके घूमे कोई पूछ
रहा है क्या...जिस तरह
कल्पना चावला,सुनीता विलियम्स प्रतीक बनने के
योग्य नहीं ठीक उसी तरह
सानिया मिर्ज़ा भी नहीं..!

सानिया मिर्ज़ा- सुमित

'गद्दर' से लेकर 'एक था टाइगर' तक भारत-
पाकिस्तान की प्रेमकथाओ पर
जितनी भी फिल्मे बनी सब में हीरो भारतीय
और हीरोइन पाकिस्तानी ही हैं। यह मात्र कोई
संयोग नहीं हैं, फ़िल्मकार जानता हैं कि हम
भारतीय ये कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते
कि एक दुश्मन देश
का लौंडा हमारी छोरी को लेकर भाग जाए।
लेकिन वास्तविक जीवन कोई फ़िल्मकार
नहीं चलाता, ऐसे में जब एक ऐसे खेल
का खिलाडी जिसके एक सामान्य मैच को हम
किसी युद्ध से कम नहीं मानते, हमारी एक
खिलाड़ी जो की खुबसूरत और कई
दिलो की धड़कन रह चुकी हो हो, को ब्याह के
ले जाए तो हम कैसे बर्दाश्त कर सकते? लेकिन
क्या कर सकते थे,जब मिया-
बीवी राजी तो क्या करेगा काज़ी? बस जल
भुन के रह गए, बत्तीसी भिड़ाते रहे।
लेकिन जब उस लड़की को हमारे देश के
किसी राज्य का ब्रांड एम्बेसेडर बनाया और
किसी 'राष्ट्रवादी' नेता ने उसके खिलाफ बयान
दिया तो हमारे अन्दर का जमा लावा बाहर आ
गया और हम शुरू हो गए।
हम विदेशी फोन इस्तेमाल करते हैं ,विदेशी कपडे
शान से पहनते हैं, कुछ दिनों पहले
प्रधानमंत्री द्वारा पाकिस्तान के
प्रधानमंत्री के स्वागत पर हमने जम कर
तालियाँ भिड़ी, क्रिकेट के एक मैच में
सेकड़ा लगाने पर हम करोडो दे देते हैं,
उत्तरप्रदेश के अमिताभ बचन गुजरात के ब्रांड
अम्बेसेडर हैं। वास्तव में बात विदेशी,
पाकिस्तानी, पैसा या दुसरे राज्य के होने
की नहीं हैं, बात हमारे गुरुर की हैं जिसे एक
पाकिस्तानी लौंडा तोड़ के चला गया।
सच्चाई कडवी हैं, और हमेशा होती हैं।

टीवी की शिक्षा

वो दिन दूर नहीं जब Tata sky के नए टीवी एड
कुछ यूँ होंगे -
पहला-(सात आठ साल का बच्चा) "पता है
अमेरिका में आठवीं में पढने वाले एक बच्चे ने
अपने स्कूल में गन से अंधाधुंध फायरिंग करके
सात बच्चों की जान ले
ली..क्योंकि अमेरिका में गन
खरीदना इजी है..अगर तुम्हारे सामने ऐसा कुछ
हो तो जमीन पर लेट जाओ,और मरने
की एक्टिंग करो...और पता है ये मैंने कहाँ से
सीखा..?टीवी से..फिर भी मम्मा टीवी देखने से
मना करती है..!"
दूसरा-(उसी उम्र की एक बच्ची) "पता है
इन्टरनेट पर सबसे ज्यादा सर्च किये
जानेवाला वर्ड 'सेक्स' है, और इस वर्ड
को सबसे ज्यादा सर्च करने वाले इंडियन
सबकांटिनेंट में पाए जाते हैं..किसी अजनबी के
बहकाने में न आओ, सेफ रहो..! और पता है ये
मैंने कहाँ से सीखा.?टीवी से..! फिर
भी मम्मा मुझे टीवी नहीं देखने देती..!"
फिर अंत में उदघोषक की आवाज
आती है-"कितना कुछ सीख सकते हैं बच्चे
टीवी से..!? Tata
sky..इसको लगा डाला तो आने
वाली पीढ़ी झिंगालाला..!"

हिपहाप हिपहाप

अरे ओ बब्बन सुने नाहीँ देवत एक आवाज मे.
अरे नाही भैया हम तो हनी भाई
का गाना सुनत रहै.
अबे कौन हनी भाई कौन है ये ससुर का नाती.
अरे भैया जी बहुत हि फेमस गायक कलाकार है
पूरा देश दिवाना है इनका.
अबे पर गाते क्या है राग ठुमरी के "हमार
भौजाई के संग खेली होली" एल्बमवा के गाने.
अरे नाही भैया रे तो बहुत हि जबराकु रेपर है.
हठ ठर्कि सुबह सुबह क्या अनाप शनाप
गंदि बाते करते हो.
अरे भैया नाही ये उ टाईप के रेपर नाही.
तो कौन टाईप के रेपर है ?
भैया तनिक कान मे इयरफोन तो लगाये के सुनो.
&ऽ% @ऽ%%¤¿?ऽ*§%
अबे हटा रे इ बुडबड को का अनाप शनाप बके
है ये ससुरा कछु समझ नही पडत.
अरे भैया जी आप रहने दो आप से
ना हो पायेगा
अबे बब्बन तुमको क्या समझ पडत है इस
चिल्लाहट मे.
भैया जी इसे कहते है
!
हाप हिपहाफ भैया इसे कहते है हिपहाप हिपहाप

एडमिन की जंग

इनबॉक्स के गुप्त सूत्रों से ज्ञात हुआ हैं कि पेज
के दो एडमिन बड़के शुक्ला जी और छुटकू सुमित
जी के मध्य उग्र झड़प हुई हैं। इसमें
शुक्ला जी का सिर फूटा हैं तथा सुमित
जी का नाक टुटा हैं।
मामले की गहन छानबीन के पश्चात् ज्ञात हुआ
कि बड़के ने छुटकु की फेवरेट
महिला खिलाडी का आपतिजनक पोस्टर अपने
कमरे की दीवार पर चिपका दिया था, जिसे देख कर
छुटका आग बबूला हो गया और बड़के को एक
चमाट मार दी। बदले में बड़के ने भी छुटके के एक
मुक्का दे धरा। छुटका अपनी टूटी नाक लेकर अपने
कमरे में आके बैठ गया। इस पर बड़का उसके कमरे के
बाहर आया और ललकारा की अगर लड़ाई शुरू
की हैं तो पूरी करो अन्दर जाकर क्यों बैठ गया?
थोड़ी देर बाद छुटका अन्दर से एक लम्बा सा लट्ठ
लाया और बड़के के सिर पर दे मारा। फिर
दोनों गुथमगुथा हो गए और लुड़कते-लुडकते बाहर
बरामदे में आ गए। वहाँ भी छुटके ने एक चमाट दे
मारी। इस पर बड़का और बिफर पड़ा की घर के
अन्दर तो ठीक हैं बाहर तूने सबके सामने मुझे कैसे
मारा? और उन्होंने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर
दिया कि आज के बाद तू इधर नहीं आएगा...
शाम को हुई बैठक मैं बड़के ने धमकी दे दी की अब
मैं घर छोड़ के जा रहा हूँ। (वैसे गुप्त सूत्रों से
ज्ञात हुआ हैं कि बड़के का बाहर किसी के साथ
अफेयर हैं इसलिए बार बार घर छोड़ने की बात करते
हैं।) पर छुटकू ने हाथ पकड़ लिया की भैया ऐसे न
जाओ। हमारी बूढी माँ का क्या होगा? घर के
अन्य किसी भी सदस्य ने अब तक कोई
प्रतिक्रिया नहीं दी हैं।
अर्धरात्रि तक यही समाचार प्राप्त हुए हैं, आगे के
समाचार प्राप्त होते ही छापे जाएँगे। तब तक के
लिए टाटा....

महाकाव्य का लघुविश्लेषण

सत्य मारा नहीं छला जाता हैं,
हाथी की आड़ में द्रोण मारा जाता हैं।
वो तो गुरु था, शिष्य से कैसे हारता भला,
पुत्र प्रेम में पिता गिरा जाता हैं।
व्यूह टूट भी जाता, अभिमन्यु न बचता,
पित्रो के भेष में जब अधर्म लड़ा जाता हैं।
वो युद्ध नहीं एक जुआ ही था,
पत्नी के केशो पर, जहाँ पुत्र वारा जाता हैं।
-Sumit K. Menaria

ज्ञानी बाबा

क्या आप अपने जीवन मे आने वाले प्रश्नो के
जवाब ना पाकर परेशान है ?
क्या आप जीवन
की अनबुझी पहेलीयो को सुलझाना चाहते है ?
क्या आपको लगता है की जीवन मे आपको सब
कुछ पता नही ?
क्या आप अपने अन्दर और बाहर का सम्पूर्ण
ज्ञान हासिल करना चाहते हैं?
क्या आप भी आइन्स्टाइन की समझदार
बनना चाहते है ?
तो आपके सभी प्रश्नो का ईलाज है बाबा के
पास. बाबा बडे चमत्कारी है,
सभी सवालो का चमत्कारी गति से जवाब देते
हैं। अथाह ज्ञान के भण्डार बाबा आपसे कोई
फीस नहीं लेंगे। ये आपका सोना दुगना करने के
बहाने जो हैं उसे लेकर उड़न छु नहीं होंगे।इन्हें
अपना चमत्कार दिखने के लिए किसी टोटके
आवश्यकता नहीं हैं और सबसे बड़ी बात
इनकी शरण में आने के बाद बहन-
बेटियों कीइज्जत भी सुरक्षित रहेगी।
तो आज ही आइये बाबा गूगलदास जी के
पास... हमारा पता हैं www.google.com
नोट- जालसाजो से सावधान हमारी अन्य कोई
ब्रांच नहीं हैं।

मित्रता की परिभाषाएं

मित्रता की परिभाषाएं कभी बदली नहीँ जा सकती मित्रता का अभिप्राय
हमेशा त्याग या समर्पण
नही होता इसका अभिप्राय होता है अपने
मित्र के मन के विचारो को जान
पाना बिना उसके कहे शायद आज हम इस
भागती दौडती जीवन शैली मे
दोस्ती कि गाथाये भूल गये पर
दोस्ती तो वो होति है जिसमे कभी लालच
नही होता और इसका सबसे बडा उदाहरण
हमारे सनातन धर्म मे दिया गया है
जहा सुदामा और प्रभु श्री कृष्णा ने बिना एक
दूसरे को बताये एक दूसरे के मन के भाव जाने
दुसरी तरफ कर्ण और धुर्योधन का उदाहरण
देखिये कर्ण जानता था की वो अधर्म के शिविर
मे है फिर भी सिर्फ एक बार मित्र कहे जाने के
खातिर उसने अपने बंधुओ के विरूध्द युध्द
किया अपने मित्रता धर्म के पालन के लिऐ अपने
के हाथो मारा गया फिर तो जब हमारे सनातन
वैदिक धर्म मे इतने उदाहरण है, तो पाश्चात्य
जगत से प्रेरणा लेकर एक दिन के लिऐ
मित्रता जैसे पवित्र रिश्ते को याद करना मात्र
सिर्फ एक अपवाद को जन्म देना हुआ ।

वीरो की धरा- राजस्थान

राजस्थान का ईतिहास तो वैसे भी वीरो से
भरा पडा है फिर अगर लिस्ट बनाने जाये
तो आप थक जायेगेँ पर नाम शायद खत्म
ना हो हर क्षैत्र हर पग पर एक वीर का कर्ज
है जिन्होने शायद उस समय तब तक लडाई
लडी जब तक सर धड पर था ।
कयी बार तो जब मै अपने ईतिहास से जुडे
लेखको की किताबे पढता हू तब शायद अजीब
सा अहसास होता है।
विचार होता है यह जानकर की वो जानते थे
की वो बिना छल जीत नही पायेगेँ और सामने
वाला छल बीना युध्द करने वाला नही है . फिर
भी लडते थे उस समय उनके मन मे
क्या भावना होगी ? शायद वीरता दिखाने
की या फिर प्रांसगिक रूप मे कहे तो जब
मरना है तो फिर डरना कैसा गुलामी क्यू
स्विकारे जब आजाद जिये तो आजाद मरेगेँ और
इसी तरह वो लडे हर एक सैनिक, सेनापती,
सांमत, राजा, राणा सब लडे तब तक जब तक
की शरीर मे एक एक खून का कतरा था।
अब शायद वो इतिहास है और वो योध्दा मात्र
किताबो मे बंद मारे गये सैनिक जिन्हे सिर्फ
संख्या बना दिया गया है। शायद इस देश
की जडो मे हि कमी रही है वरना अगर
किसी और देश का इतिहास
ऐसा होता तो वो उसे इतना सहेज कर रखते जैसे
उनके लिऐ वो सब कुछ हो और हम सिर्फ उसे
नष्ट करना जानते है ।