आँखे भले हम मीच ले, पर दिन तो न ढलता हैं। सुबह-अख़बार-चाय और कहना, सब ऐसे ही चलता हैं। यह चक्र हैं दुनिया गोल हैं सब वही पर आता हैं। जो करता वो भी भरता हैं, जो देखे वो भी चुकाता हैं। सूरज को दीपक दिखाते, और अंधियारी रात करते हैं। हम कद में छोटे सही, बड़े ख़यालात करते हैं। कोई हो शहंशाह घर का, हम डट कर मुलाकात करते हैं। छोटा मुंह हैं, मगर बड़ी बात करते हैं।
शुक्रवार, 29 अगस्त 2014
August 29, 2014 at 06:36PM
गुरुवार, 28 अगस्त 2014
आज के सीरियल
लड़के का अपनी पत्नी के साथ अफेयर हैं लेकिन
वो अपनी बीवी को इसके बारे में बता नहीं सकता,
मज़बूरी में लड़के को छुप छुपकर अपनी पत्नी के साथ
अफेयर करना पड़ता हैं, इससे दुखी होकर वाइफ घर
छोड़ कर अपने ससुराल चली जाती हैं और अपने
हस्बैंड के साथ ख़ुशी ख़ुशी रहने लगती हैं। इधर एक
दिन बीवी को लड़के के पत्नी के साथ अफेयर के
बारे में पता चल जाता हैं और वो घर छोड़ कर जाने
लगती हैं, लेकिन पत्नी उसे रोक लेती हैं......
यह 'बालिका वधु' सीरियल की कहानी हैं।
वो दुखियारा लड़का जग्या हैं
पत्नी उसकी वर्तमान पत्नी गंगा,
बीवी उसकी दूसरी बीवी गौरी और वाइफ
उसकी पहली वाइफ आनंदी हैं।
अब जब हमारे घर की महिलायें ये सब बड़े चाव से
देखती हैं, हम घर जाते हैं और बाजार से सब्जी लेकर न
जाए और मम्मी/वाइफ आप पर बरस पड़े तो सोच
लीजिये इसमें उनकी कितनी गलती हैं?
मंगलवार, 19 अगस्त 2014
पाप या पुण्य
पाप या पुण्य?
(सुमित मेनारिया)
वो मेले में पिंजरा लेकर खड़ा था, पंछियों से भरा पिंजरा। वो उन्हें बेच नहीं रहा था। आप उसे पैसे दीजिये और वो उन्हें मुक्त कर देगा।
"इन्हें उड़ाने से क्या होगा?" मैंने पूछा।
"पुण्य मिलेगा, साहब!"
"और तुम इन्हें वापस पकड़ लाओगे?"
"हाँ जी।" वो धीरे से बुदबुदाया।
"तो तुम्हे पाप नहीं लगेगा।"
"लगेगा लेकिन पापी पेट के लिए सब करना पड़ता हैं।"
मैंने अपनी बंदुक निकाली और उसे गोली मार दी।
सोमवार, 18 अगस्त 2014
कोचिंग
शनिवार, 16 अगस्त 2014
श्री कृष्णा के बारे में भ्रम
गुरुवार, 14 अगस्त 2014
आजादी के मायने
काश हम गुलाम होते....
मंगलवार, 12 अगस्त 2014
तुम नास्तिक कैसे बने?
शनिवार, 9 अगस्त 2014
ईश्वर से जुड़े कुछ प्रश्न?
मंगलवार, 5 अगस्त 2014
कैंडल मार्च
अबे चल न!
क्या करना हैं यार चलके? फ़ोकट में बोर होंगे और टाइम वेस्ट हैं कुछ
नहीं बदलना हैं.
तो हमें क्या बदलना हैं कल सन्डे हैं वैसे भी फ्री ही हैं, अखबार में फोटो भी आ
जाएगा.
कौनसा हमारा आएगा? आना तो लडकियों का ही हैं. टेंसुए टपकाता चहरा.
अखबार में नहीं आएगा तो फेसबुक पर डाल देंगे, कवर फोटो! और
छोरिया भी आएगी, टाइम पास हो जाएगा.
तू मूवी देखने के लिए बोल रहा था उसका क्या?
कौनसा रात रहना हैं, घंटे भर रुकेंगे और फिर वहां से मूवी चले जाएँगे.
ठीक हैं भाई डन.
अगले दिन पाल पर बलात्कार पीडिता के लिए कैंडल मार्च निकाला गया.
बड़ी मात्रा में युवा शामिल हुए.
-सुमित मेनारिया
सोमवार, 4 अगस्त 2014
चोर
रविवार, 3 अगस्त 2014
निरर्थक पढाई
आपने चाहे C.A., M.B.A. कुछ भी किया हो, आप
अपने आप को तब अनपढ़ महसूस करते हैं जब
आपका कोई पडोसी डॉक्टर की पर्ची लेकर
आता हैं और पूछता हैं
कि "बेटा जरा बताना कौनसी दवा लिखी हैं?"
भगवान कसम खुद पर धिक्कार महसूस होता हैं।
सानिया मिर्ज़ा- अतुल
लौंडे- लौंडिया, स्कर्ट- टांग,भागना -
भगाना ,फिल्म-खेल से जरा ऊपर उठना होगा,
दिमाग की सड़ांध बाहर फेंकनी होगी तब जाकर
बात समझ में आ सकेगी कि राष्ट्र राज्य और उसके
प्रतीक(symbols) क्या होते हैं..? हार्लिक्स-
व्हिस्पर का ब्रांड अम्बेसडर बनके घूमे कोई पूछ
रहा है क्या...जिस तरह
कल्पना चावला,सुनीता विलियम्स प्रतीक बनने के
योग्य नहीं ठीक उसी तरह
सानिया मिर्ज़ा भी नहीं..!
सानिया मिर्ज़ा- सुमित
'गद्दर' से लेकर 'एक था टाइगर' तक भारत-
पाकिस्तान की प्रेमकथाओ पर
जितनी भी फिल्मे बनी सब में हीरो भारतीय
और हीरोइन पाकिस्तानी ही हैं। यह मात्र कोई
संयोग नहीं हैं, फ़िल्मकार जानता हैं कि हम
भारतीय ये कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते
कि एक दुश्मन देश
का लौंडा हमारी छोरी को लेकर भाग जाए।
लेकिन वास्तविक जीवन कोई फ़िल्मकार
नहीं चलाता, ऐसे में जब एक ऐसे खेल
का खिलाडी जिसके एक सामान्य मैच को हम
किसी युद्ध से कम नहीं मानते, हमारी एक
खिलाड़ी जो की खुबसूरत और कई
दिलो की धड़कन रह चुकी हो हो, को ब्याह के
ले जाए तो हम कैसे बर्दाश्त कर सकते? लेकिन
क्या कर सकते थे,जब मिया-
बीवी राजी तो क्या करेगा काज़ी? बस जल
भुन के रह गए, बत्तीसी भिड़ाते रहे।
लेकिन जब उस लड़की को हमारे देश के
किसी राज्य का ब्रांड एम्बेसेडर बनाया और
किसी 'राष्ट्रवादी' नेता ने उसके खिलाफ बयान
दिया तो हमारे अन्दर का जमा लावा बाहर आ
गया और हम शुरू हो गए।
हम विदेशी फोन इस्तेमाल करते हैं ,विदेशी कपडे
शान से पहनते हैं, कुछ दिनों पहले
प्रधानमंत्री द्वारा पाकिस्तान के
प्रधानमंत्री के स्वागत पर हमने जम कर
तालियाँ भिड़ी, क्रिकेट के एक मैच में
सेकड़ा लगाने पर हम करोडो दे देते हैं,
उत्तरप्रदेश के अमिताभ बचन गुजरात के ब्रांड
अम्बेसेडर हैं। वास्तव में बात विदेशी,
पाकिस्तानी, पैसा या दुसरे राज्य के होने
की नहीं हैं, बात हमारे गुरुर की हैं जिसे एक
पाकिस्तानी लौंडा तोड़ के चला गया।
सच्चाई कडवी हैं, और हमेशा होती हैं।
टीवी की शिक्षा
वो दिन दूर नहीं जब Tata sky के नए टीवी एड
कुछ यूँ होंगे -
पहला-(सात आठ साल का बच्चा) "पता है
अमेरिका में आठवीं में पढने वाले एक बच्चे ने
अपने स्कूल में गन से अंधाधुंध फायरिंग करके
सात बच्चों की जान ले
ली..क्योंकि अमेरिका में गन
खरीदना इजी है..अगर तुम्हारे सामने ऐसा कुछ
हो तो जमीन पर लेट जाओ,और मरने
की एक्टिंग करो...और पता है ये मैंने कहाँ से
सीखा..?टीवी से..फिर भी मम्मा टीवी देखने से
मना करती है..!"
दूसरा-(उसी उम्र की एक बच्ची) "पता है
इन्टरनेट पर सबसे ज्यादा सर्च किये
जानेवाला वर्ड 'सेक्स' है, और इस वर्ड
को सबसे ज्यादा सर्च करने वाले इंडियन
सबकांटिनेंट में पाए जाते हैं..किसी अजनबी के
बहकाने में न आओ, सेफ रहो..! और पता है ये
मैंने कहाँ से सीखा.?टीवी से..! फिर
भी मम्मा मुझे टीवी नहीं देखने देती..!"
फिर अंत में उदघोषक की आवाज
आती है-"कितना कुछ सीख सकते हैं बच्चे
टीवी से..!? Tata
sky..इसको लगा डाला तो आने
वाली पीढ़ी झिंगालाला..!"
हिपहाप हिपहाप
अरे ओ बब्बन सुने नाहीँ देवत एक आवाज मे.
अरे नाही भैया हम तो हनी भाई
का गाना सुनत रहै.
अबे कौन हनी भाई कौन है ये ससुर का नाती.
अरे भैया जी बहुत हि फेमस गायक कलाकार है
पूरा देश दिवाना है इनका.
अबे पर गाते क्या है राग ठुमरी के "हमार
भौजाई के संग खेली होली" एल्बमवा के गाने.
अरे नाही भैया रे तो बहुत हि जबराकु रेपर है.
हठ ठर्कि सुबह सुबह क्या अनाप शनाप
गंदि बाते करते हो.
अरे भैया नाही ये उ टाईप के रेपर नाही.
तो कौन टाईप के रेपर है ?
भैया तनिक कान मे इयरफोन तो लगाये के सुनो.
&ऽ% @ऽ%%¤¿?ऽ*§%
अबे हटा रे इ बुडबड को का अनाप शनाप बके
है ये ससुरा कछु समझ नही पडत.
अरे भैया जी आप रहने दो आप से
ना हो पायेगा
अबे बब्बन तुमको क्या समझ पडत है इस
चिल्लाहट मे.
भैया जी इसे कहते है
!
हाप हिपहाफ भैया इसे कहते है हिपहाप हिपहाप
एडमिन की जंग
इनबॉक्स के गुप्त सूत्रों से ज्ञात हुआ हैं कि पेज
के दो एडमिन बड़के शुक्ला जी और छुटकू सुमित
जी के मध्य उग्र झड़प हुई हैं। इसमें
शुक्ला जी का सिर फूटा हैं तथा सुमित
जी का नाक टुटा हैं।
मामले की गहन छानबीन के पश्चात् ज्ञात हुआ
कि बड़के ने छुटकु की फेवरेट
महिला खिलाडी का आपतिजनक पोस्टर अपने
कमरे की दीवार पर चिपका दिया था, जिसे देख कर
छुटका आग बबूला हो गया और बड़के को एक
चमाट मार दी। बदले में बड़के ने भी छुटके के एक
मुक्का दे धरा। छुटका अपनी टूटी नाक लेकर अपने
कमरे में आके बैठ गया। इस पर बड़का उसके कमरे के
बाहर आया और ललकारा की अगर लड़ाई शुरू
की हैं तो पूरी करो अन्दर जाकर क्यों बैठ गया?
थोड़ी देर बाद छुटका अन्दर से एक लम्बा सा लट्ठ
लाया और बड़के के सिर पर दे मारा। फिर
दोनों गुथमगुथा हो गए और लुड़कते-लुडकते बाहर
बरामदे में आ गए। वहाँ भी छुटके ने एक चमाट दे
मारी। इस पर बड़का और बिफर पड़ा की घर के
अन्दर तो ठीक हैं बाहर तूने सबके सामने मुझे कैसे
मारा? और उन्होंने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर
दिया कि आज के बाद तू इधर नहीं आएगा...
शाम को हुई बैठक मैं बड़के ने धमकी दे दी की अब
मैं घर छोड़ के जा रहा हूँ। (वैसे गुप्त सूत्रों से
ज्ञात हुआ हैं कि बड़के का बाहर किसी के साथ
अफेयर हैं इसलिए बार बार घर छोड़ने की बात करते
हैं।) पर छुटकू ने हाथ पकड़ लिया की भैया ऐसे न
जाओ। हमारी बूढी माँ का क्या होगा? घर के
अन्य किसी भी सदस्य ने अब तक कोई
प्रतिक्रिया नहीं दी हैं।
अर्धरात्रि तक यही समाचार प्राप्त हुए हैं, आगे के
समाचार प्राप्त होते ही छापे जाएँगे। तब तक के
लिए टाटा....
महाकाव्य का लघुविश्लेषण
सत्य मारा नहीं छला जाता हैं,
हाथी की आड़ में द्रोण मारा जाता हैं।
वो तो गुरु था, शिष्य से कैसे हारता भला,
पुत्र प्रेम में पिता गिरा जाता हैं।
व्यूह टूट भी जाता, अभिमन्यु न बचता,
पित्रो के भेष में जब अधर्म लड़ा जाता हैं।
वो युद्ध नहीं एक जुआ ही था,
पत्नी के केशो पर, जहाँ पुत्र वारा जाता हैं।
-Sumit K. Menaria
ज्ञानी बाबा
क्या आप अपने जीवन मे आने वाले प्रश्नो के
जवाब ना पाकर परेशान है ?
क्या आप जीवन
की अनबुझी पहेलीयो को सुलझाना चाहते है ?
क्या आपको लगता है की जीवन मे आपको सब
कुछ पता नही ?
क्या आप अपने अन्दर और बाहर का सम्पूर्ण
ज्ञान हासिल करना चाहते हैं?
क्या आप भी आइन्स्टाइन की समझदार
बनना चाहते है ?
तो आपके सभी प्रश्नो का ईलाज है बाबा के
पास. बाबा बडे चमत्कारी है,
सभी सवालो का चमत्कारी गति से जवाब देते
हैं। अथाह ज्ञान के भण्डार बाबा आपसे कोई
फीस नहीं लेंगे। ये आपका सोना दुगना करने के
बहाने जो हैं उसे लेकर उड़न छु नहीं होंगे।इन्हें
अपना चमत्कार दिखने के लिए किसी टोटके
आवश्यकता नहीं हैं और सबसे बड़ी बात
इनकी शरण में आने के बाद बहन-
बेटियों कीइज्जत भी सुरक्षित रहेगी।
तो आज ही आइये बाबा गूगलदास जी के
पास... हमारा पता हैं www.google.com
नोट- जालसाजो से सावधान हमारी अन्य कोई
ब्रांच नहीं हैं।
मित्रता की परिभाषाएं
मित्रता की परिभाषाएं कभी बदली नहीँ जा सकती मित्रता का अभिप्राय
हमेशा त्याग या समर्पण
नही होता इसका अभिप्राय होता है अपने
मित्र के मन के विचारो को जान
पाना बिना उसके कहे शायद आज हम इस
भागती दौडती जीवन शैली मे
दोस्ती कि गाथाये भूल गये पर
दोस्ती तो वो होति है जिसमे कभी लालच
नही होता और इसका सबसे बडा उदाहरण
हमारे सनातन धर्म मे दिया गया है
जहा सुदामा और प्रभु श्री कृष्णा ने बिना एक
दूसरे को बताये एक दूसरे के मन के भाव जाने
दुसरी तरफ कर्ण और धुर्योधन का उदाहरण
देखिये कर्ण जानता था की वो अधर्म के शिविर
मे है फिर भी सिर्फ एक बार मित्र कहे जाने के
खातिर उसने अपने बंधुओ के विरूध्द युध्द
किया अपने मित्रता धर्म के पालन के लिऐ अपने
के हाथो मारा गया फिर तो जब हमारे सनातन
वैदिक धर्म मे इतने उदाहरण है, तो पाश्चात्य
जगत से प्रेरणा लेकर एक दिन के लिऐ
मित्रता जैसे पवित्र रिश्ते को याद करना मात्र
सिर्फ एक अपवाद को जन्म देना हुआ ।
वीरो की धरा- राजस्थान
राजस्थान का ईतिहास तो वैसे भी वीरो से
भरा पडा है फिर अगर लिस्ट बनाने जाये
तो आप थक जायेगेँ पर नाम शायद खत्म
ना हो हर क्षैत्र हर पग पर एक वीर का कर्ज
है जिन्होने शायद उस समय तब तक लडाई
लडी जब तक सर धड पर था ।
कयी बार तो जब मै अपने ईतिहास से जुडे
लेखको की किताबे पढता हू तब शायद अजीब
सा अहसास होता है।
विचार होता है यह जानकर की वो जानते थे
की वो बिना छल जीत नही पायेगेँ और सामने
वाला छल बीना युध्द करने वाला नही है . फिर
भी लडते थे उस समय उनके मन मे
क्या भावना होगी ? शायद वीरता दिखाने
की या फिर प्रांसगिक रूप मे कहे तो जब
मरना है तो फिर डरना कैसा गुलामी क्यू
स्विकारे जब आजाद जिये तो आजाद मरेगेँ और
इसी तरह वो लडे हर एक सैनिक, सेनापती,
सांमत, राजा, राणा सब लडे तब तक जब तक
की शरीर मे एक एक खून का कतरा था।
अब शायद वो इतिहास है और वो योध्दा मात्र
किताबो मे बंद मारे गये सैनिक जिन्हे सिर्फ
संख्या बना दिया गया है। शायद इस देश
की जडो मे हि कमी रही है वरना अगर
किसी और देश का इतिहास
ऐसा होता तो वो उसे इतना सहेज कर रखते जैसे
उनके लिऐ वो सब कुछ हो और हम सिर्फ उसे
नष्ट करना जानते है ।