सोमवार, 30 जून 2014

पिताजी

तो भैया आज पिता जी दिवस था मतलब
कि फादर्स डे आज सवेरे सवरे हि मित्रो के
पोस्ट देखे हम ने भी पूरा दिन
सोचा कि चलो अब कुछ लिखे पर
क्या लिखना चाहिये इसके बारे मे कंफ्यूज थे
क्योकि पिजा जी के साथ यादे कम
तो होति नही ना हि हम उन्हे भूल सकते है जब
याद करने जाओ तो याद आ हि जाता है
अपनी हर छोटि जिद को पूरा करने कि खातिर
उनके चेहरे पर आई शिकन
भी हमारी खुशी देखकर गायब
हो जाती कभी हम ये जताये
नही कि उनकि उपस्थिती के मायने क्या थे
जीवन मे क्योकि एक समय जब हम उनके काम
से लौटने का इंतजार करते और उनके आने पर
दौड कर चिपक जाते उनसे तब शायद हमको अंह
नही था अपनी समझदारी का पर समय के साथ
हमेशा कोशिश किये कि अपने पिता का सर
कभी निचे हो किसी और के सामने
ना कभी मौका दिये
पिताजी को कि वो किसी और के बेटे
का उदाहरण देकर हमे समझाये
हर बार हम अपनी हर इच्छा पूरी करवा कर
मानते चाहे फिर उनकि जेब पर कितना भारी पडे
पर वो कभी ये नही जताते कि वो परेशान है
हमसे
चाहे पप्पू कि 3 पहिये वाली सायकल
हो या उस बिट्टू का नया वीडियो गेम हो उससे
अच्छा लाकर देते
हा कभी कभार जब रिर्पोटकार्ड पर साईन लेने
कि बात आति तब जरूर डरते पर
पिताजी कभी हाथ नही उठाये ना कभी डाँटे
पर फिर भी डर रहता था उनका
पर जिसकि उंगली पकड चलना सिखा जिसने
सहि गलत मे अंतर बताया जिसने तुम कि जगह
आप बोलना सिखाया जिसने 2 रूपये
कि कुल्फि कि जगह 10 कि आईसक्रिम दिलवाई
जिसने हमारे जन्म से पहले हमारे भविष्य
कि योजनाये बना लि जिसे
हमेशा चिँता रहा करती थी कि कोई हमे परेशान
ना करे मम्मी के डाटने पर
मम्मी को उल्टा डाटना कि बच्चा है
गलतिया नही करेगा तो क्या बडा होकर करेगा
जब A B C D तक बोलना नही आति तब सिर्फ
उन्हि कि नकल करके भजन याद किये
उन्हे हमसे हमेशा आशाये थी हमारे जन्म से पहले
भी ओर हमारे जन्म होने पर भी और शायद
हमेशा रहेगी
तो आज भी जब टीवि पर गाना आता है
पापा कहते है बडा नाम करेगा
शायद उन्हे हमारा ख्याल और हमारे जहन मे
एक बडि जिम्मेदारी को याद
दिला देता कि किसी कि आशाये है आप से मुझ
से तो कोशिश ये करे कि उन आशाओ को पहले
पूरा करे क्यूकि उनकि किमत शायद
पूरी दुनिया के खजाने से ज्यादा होगी

~हिमांशु वोरा

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