आँखे भले हम मीच ले, पर दिन तो न ढलता हैं। सुबह-अख़बार-चाय और कहना, सब ऐसे ही चलता हैं। यह चक्र हैं दुनिया गोल हैं सब वही पर आता हैं। जो करता वो भी भरता हैं, जो देखे वो भी चुकाता हैं। सूरज को दीपक दिखाते, और अंधियारी रात करते हैं। हम कद में छोटे सही, बड़े ख़यालात करते हैं। कोई हो शहंशाह घर का, हम डट कर मुलाकात करते हैं। छोटा मुंह हैं, मगर बड़ी बात करते हैं।
शुक्रवार, 12 सितंबर 2014
September 12, 2014 at 07:37PM
सोमवार, 1 सितंबर 2014
September 01, 2014 at 12:25PM
शुक्रवार, 29 अगस्त 2014
August 29, 2014 at 06:36PM
गुरुवार, 28 अगस्त 2014
आज के सीरियल
लड़के का अपनी पत्नी के साथ अफेयर हैं लेकिन
वो अपनी बीवी को इसके बारे में बता नहीं सकता,
मज़बूरी में लड़के को छुप छुपकर अपनी पत्नी के साथ
अफेयर करना पड़ता हैं, इससे दुखी होकर वाइफ घर
छोड़ कर अपने ससुराल चली जाती हैं और अपने
हस्बैंड के साथ ख़ुशी ख़ुशी रहने लगती हैं। इधर एक
दिन बीवी को लड़के के पत्नी के साथ अफेयर के
बारे में पता चल जाता हैं और वो घर छोड़ कर जाने
लगती हैं, लेकिन पत्नी उसे रोक लेती हैं......
यह 'बालिका वधु' सीरियल की कहानी हैं।
वो दुखियारा लड़का जग्या हैं
पत्नी उसकी वर्तमान पत्नी गंगा,
बीवी उसकी दूसरी बीवी गौरी और वाइफ
उसकी पहली वाइफ आनंदी हैं।
अब जब हमारे घर की महिलायें ये सब बड़े चाव से
देखती हैं, हम घर जाते हैं और बाजार से सब्जी लेकर न
जाए और मम्मी/वाइफ आप पर बरस पड़े तो सोच
लीजिये इसमें उनकी कितनी गलती हैं?
मंगलवार, 19 अगस्त 2014
पाप या पुण्य
पाप या पुण्य?
(सुमित मेनारिया)
वो मेले में पिंजरा लेकर खड़ा था, पंछियों से भरा पिंजरा। वो उन्हें बेच नहीं रहा था। आप उसे पैसे दीजिये और वो उन्हें मुक्त कर देगा।
"इन्हें उड़ाने से क्या होगा?" मैंने पूछा।
"पुण्य मिलेगा, साहब!"
"और तुम इन्हें वापस पकड़ लाओगे?"
"हाँ जी।" वो धीरे से बुदबुदाया।
"तो तुम्हे पाप नहीं लगेगा।"
"लगेगा लेकिन पापी पेट के लिए सब करना पड़ता हैं।"
मैंने अपनी बंदुक निकाली और उसे गोली मार दी।
सोमवार, 18 अगस्त 2014
कोचिंग
शनिवार, 16 अगस्त 2014
श्री कृष्णा के बारे में भ्रम
गुरुवार, 14 अगस्त 2014
आजादी के मायने
काश हम गुलाम होते....
मंगलवार, 12 अगस्त 2014
तुम नास्तिक कैसे बने?
शनिवार, 9 अगस्त 2014
ईश्वर से जुड़े कुछ प्रश्न?
मंगलवार, 5 अगस्त 2014
कैंडल मार्च
अबे चल न!
क्या करना हैं यार चलके? फ़ोकट में बोर होंगे और टाइम वेस्ट हैं कुछ
नहीं बदलना हैं.
तो हमें क्या बदलना हैं कल सन्डे हैं वैसे भी फ्री ही हैं, अखबार में फोटो भी आ
जाएगा.
कौनसा हमारा आएगा? आना तो लडकियों का ही हैं. टेंसुए टपकाता चहरा.
अखबार में नहीं आएगा तो फेसबुक पर डाल देंगे, कवर फोटो! और
छोरिया भी आएगी, टाइम पास हो जाएगा.
तू मूवी देखने के लिए बोल रहा था उसका क्या?
कौनसा रात रहना हैं, घंटे भर रुकेंगे और फिर वहां से मूवी चले जाएँगे.
ठीक हैं भाई डन.
अगले दिन पाल पर बलात्कार पीडिता के लिए कैंडल मार्च निकाला गया.
बड़ी मात्रा में युवा शामिल हुए.
-सुमित मेनारिया
सोमवार, 4 अगस्त 2014
चोर
रविवार, 3 अगस्त 2014
निरर्थक पढाई
आपने चाहे C.A., M.B.A. कुछ भी किया हो, आप
अपने आप को तब अनपढ़ महसूस करते हैं जब
आपका कोई पडोसी डॉक्टर की पर्ची लेकर
आता हैं और पूछता हैं
कि "बेटा जरा बताना कौनसी दवा लिखी हैं?"
भगवान कसम खुद पर धिक्कार महसूस होता हैं।
सानिया मिर्ज़ा- अतुल
लौंडे- लौंडिया, स्कर्ट- टांग,भागना -
भगाना ,फिल्म-खेल से जरा ऊपर उठना होगा,
दिमाग की सड़ांध बाहर फेंकनी होगी तब जाकर
बात समझ में आ सकेगी कि राष्ट्र राज्य और उसके
प्रतीक(symbols) क्या होते हैं..? हार्लिक्स-
व्हिस्पर का ब्रांड अम्बेसडर बनके घूमे कोई पूछ
रहा है क्या...जिस तरह
कल्पना चावला,सुनीता विलियम्स प्रतीक बनने के
योग्य नहीं ठीक उसी तरह
सानिया मिर्ज़ा भी नहीं..!
सानिया मिर्ज़ा- सुमित
'गद्दर' से लेकर 'एक था टाइगर' तक भारत-
पाकिस्तान की प्रेमकथाओ पर
जितनी भी फिल्मे बनी सब में हीरो भारतीय
और हीरोइन पाकिस्तानी ही हैं। यह मात्र कोई
संयोग नहीं हैं, फ़िल्मकार जानता हैं कि हम
भारतीय ये कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते
कि एक दुश्मन देश
का लौंडा हमारी छोरी को लेकर भाग जाए।
लेकिन वास्तविक जीवन कोई फ़िल्मकार
नहीं चलाता, ऐसे में जब एक ऐसे खेल
का खिलाडी जिसके एक सामान्य मैच को हम
किसी युद्ध से कम नहीं मानते, हमारी एक
खिलाड़ी जो की खुबसूरत और कई
दिलो की धड़कन रह चुकी हो हो, को ब्याह के
ले जाए तो हम कैसे बर्दाश्त कर सकते? लेकिन
क्या कर सकते थे,जब मिया-
बीवी राजी तो क्या करेगा काज़ी? बस जल
भुन के रह गए, बत्तीसी भिड़ाते रहे।
लेकिन जब उस लड़की को हमारे देश के
किसी राज्य का ब्रांड एम्बेसेडर बनाया और
किसी 'राष्ट्रवादी' नेता ने उसके खिलाफ बयान
दिया तो हमारे अन्दर का जमा लावा बाहर आ
गया और हम शुरू हो गए।
हम विदेशी फोन इस्तेमाल करते हैं ,विदेशी कपडे
शान से पहनते हैं, कुछ दिनों पहले
प्रधानमंत्री द्वारा पाकिस्तान के
प्रधानमंत्री के स्वागत पर हमने जम कर
तालियाँ भिड़ी, क्रिकेट के एक मैच में
सेकड़ा लगाने पर हम करोडो दे देते हैं,
उत्तरप्रदेश के अमिताभ बचन गुजरात के ब्रांड
अम्बेसेडर हैं। वास्तव में बात विदेशी,
पाकिस्तानी, पैसा या दुसरे राज्य के होने
की नहीं हैं, बात हमारे गुरुर की हैं जिसे एक
पाकिस्तानी लौंडा तोड़ के चला गया।
सच्चाई कडवी हैं, और हमेशा होती हैं।
टीवी की शिक्षा
वो दिन दूर नहीं जब Tata sky के नए टीवी एड
कुछ यूँ होंगे -
पहला-(सात आठ साल का बच्चा) "पता है
अमेरिका में आठवीं में पढने वाले एक बच्चे ने
अपने स्कूल में गन से अंधाधुंध फायरिंग करके
सात बच्चों की जान ले
ली..क्योंकि अमेरिका में गन
खरीदना इजी है..अगर तुम्हारे सामने ऐसा कुछ
हो तो जमीन पर लेट जाओ,और मरने
की एक्टिंग करो...और पता है ये मैंने कहाँ से
सीखा..?टीवी से..फिर भी मम्मा टीवी देखने से
मना करती है..!"
दूसरा-(उसी उम्र की एक बच्ची) "पता है
इन्टरनेट पर सबसे ज्यादा सर्च किये
जानेवाला वर्ड 'सेक्स' है, और इस वर्ड
को सबसे ज्यादा सर्च करने वाले इंडियन
सबकांटिनेंट में पाए जाते हैं..किसी अजनबी के
बहकाने में न आओ, सेफ रहो..! और पता है ये
मैंने कहाँ से सीखा.?टीवी से..! फिर
भी मम्मा मुझे टीवी नहीं देखने देती..!"
फिर अंत में उदघोषक की आवाज
आती है-"कितना कुछ सीख सकते हैं बच्चे
टीवी से..!? Tata
sky..इसको लगा डाला तो आने
वाली पीढ़ी झिंगालाला..!"
हिपहाप हिपहाप
अरे ओ बब्बन सुने नाहीँ देवत एक आवाज मे.
अरे नाही भैया हम तो हनी भाई
का गाना सुनत रहै.
अबे कौन हनी भाई कौन है ये ससुर का नाती.
अरे भैया जी बहुत हि फेमस गायक कलाकार है
पूरा देश दिवाना है इनका.
अबे पर गाते क्या है राग ठुमरी के "हमार
भौजाई के संग खेली होली" एल्बमवा के गाने.
अरे नाही भैया रे तो बहुत हि जबराकु रेपर है.
हठ ठर्कि सुबह सुबह क्या अनाप शनाप
गंदि बाते करते हो.
अरे भैया नाही ये उ टाईप के रेपर नाही.
तो कौन टाईप के रेपर है ?
भैया तनिक कान मे इयरफोन तो लगाये के सुनो.
&ऽ% @ऽ%%¤¿?ऽ*§%
अबे हटा रे इ बुडबड को का अनाप शनाप बके
है ये ससुरा कछु समझ नही पडत.
अरे भैया जी आप रहने दो आप से
ना हो पायेगा
अबे बब्बन तुमको क्या समझ पडत है इस
चिल्लाहट मे.
भैया जी इसे कहते है
!
हाप हिपहाफ भैया इसे कहते है हिपहाप हिपहाप
एडमिन की जंग
इनबॉक्स के गुप्त सूत्रों से ज्ञात हुआ हैं कि पेज
के दो एडमिन बड़के शुक्ला जी और छुटकू सुमित
जी के मध्य उग्र झड़प हुई हैं। इसमें
शुक्ला जी का सिर फूटा हैं तथा सुमित
जी का नाक टुटा हैं।
मामले की गहन छानबीन के पश्चात् ज्ञात हुआ
कि बड़के ने छुटकु की फेवरेट
महिला खिलाडी का आपतिजनक पोस्टर अपने
कमरे की दीवार पर चिपका दिया था, जिसे देख कर
छुटका आग बबूला हो गया और बड़के को एक
चमाट मार दी। बदले में बड़के ने भी छुटके के एक
मुक्का दे धरा। छुटका अपनी टूटी नाक लेकर अपने
कमरे में आके बैठ गया। इस पर बड़का उसके कमरे के
बाहर आया और ललकारा की अगर लड़ाई शुरू
की हैं तो पूरी करो अन्दर जाकर क्यों बैठ गया?
थोड़ी देर बाद छुटका अन्दर से एक लम्बा सा लट्ठ
लाया और बड़के के सिर पर दे मारा। फिर
दोनों गुथमगुथा हो गए और लुड़कते-लुडकते बाहर
बरामदे में आ गए। वहाँ भी छुटके ने एक चमाट दे
मारी। इस पर बड़का और बिफर पड़ा की घर के
अन्दर तो ठीक हैं बाहर तूने सबके सामने मुझे कैसे
मारा? और उन्होंने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर
दिया कि आज के बाद तू इधर नहीं आएगा...
शाम को हुई बैठक मैं बड़के ने धमकी दे दी की अब
मैं घर छोड़ के जा रहा हूँ। (वैसे गुप्त सूत्रों से
ज्ञात हुआ हैं कि बड़के का बाहर किसी के साथ
अफेयर हैं इसलिए बार बार घर छोड़ने की बात करते
हैं।) पर छुटकू ने हाथ पकड़ लिया की भैया ऐसे न
जाओ। हमारी बूढी माँ का क्या होगा? घर के
अन्य किसी भी सदस्य ने अब तक कोई
प्रतिक्रिया नहीं दी हैं।
अर्धरात्रि तक यही समाचार प्राप्त हुए हैं, आगे के
समाचार प्राप्त होते ही छापे जाएँगे। तब तक के
लिए टाटा....
महाकाव्य का लघुविश्लेषण
सत्य मारा नहीं छला जाता हैं,
हाथी की आड़ में द्रोण मारा जाता हैं।
वो तो गुरु था, शिष्य से कैसे हारता भला,
पुत्र प्रेम में पिता गिरा जाता हैं।
व्यूह टूट भी जाता, अभिमन्यु न बचता,
पित्रो के भेष में जब अधर्म लड़ा जाता हैं।
वो युद्ध नहीं एक जुआ ही था,
पत्नी के केशो पर, जहाँ पुत्र वारा जाता हैं।
-Sumit K. Menaria
ज्ञानी बाबा
क्या आप अपने जीवन मे आने वाले प्रश्नो के
जवाब ना पाकर परेशान है ?
क्या आप जीवन
की अनबुझी पहेलीयो को सुलझाना चाहते है ?
क्या आपको लगता है की जीवन मे आपको सब
कुछ पता नही ?
क्या आप अपने अन्दर और बाहर का सम्पूर्ण
ज्ञान हासिल करना चाहते हैं?
क्या आप भी आइन्स्टाइन की समझदार
बनना चाहते है ?
तो आपके सभी प्रश्नो का ईलाज है बाबा के
पास. बाबा बडे चमत्कारी है,
सभी सवालो का चमत्कारी गति से जवाब देते
हैं। अथाह ज्ञान के भण्डार बाबा आपसे कोई
फीस नहीं लेंगे। ये आपका सोना दुगना करने के
बहाने जो हैं उसे लेकर उड़न छु नहीं होंगे।इन्हें
अपना चमत्कार दिखने के लिए किसी टोटके
आवश्यकता नहीं हैं और सबसे बड़ी बात
इनकी शरण में आने के बाद बहन-
बेटियों कीइज्जत भी सुरक्षित रहेगी।
तो आज ही आइये बाबा गूगलदास जी के
पास... हमारा पता हैं www.google.com
नोट- जालसाजो से सावधान हमारी अन्य कोई
ब्रांच नहीं हैं।
मित्रता की परिभाषाएं
मित्रता की परिभाषाएं कभी बदली नहीँ जा सकती मित्रता का अभिप्राय
हमेशा त्याग या समर्पण
नही होता इसका अभिप्राय होता है अपने
मित्र के मन के विचारो को जान
पाना बिना उसके कहे शायद आज हम इस
भागती दौडती जीवन शैली मे
दोस्ती कि गाथाये भूल गये पर
दोस्ती तो वो होति है जिसमे कभी लालच
नही होता और इसका सबसे बडा उदाहरण
हमारे सनातन धर्म मे दिया गया है
जहा सुदामा और प्रभु श्री कृष्णा ने बिना एक
दूसरे को बताये एक दूसरे के मन के भाव जाने
दुसरी तरफ कर्ण और धुर्योधन का उदाहरण
देखिये कर्ण जानता था की वो अधर्म के शिविर
मे है फिर भी सिर्फ एक बार मित्र कहे जाने के
खातिर उसने अपने बंधुओ के विरूध्द युध्द
किया अपने मित्रता धर्म के पालन के लिऐ अपने
के हाथो मारा गया फिर तो जब हमारे सनातन
वैदिक धर्म मे इतने उदाहरण है, तो पाश्चात्य
जगत से प्रेरणा लेकर एक दिन के लिऐ
मित्रता जैसे पवित्र रिश्ते को याद करना मात्र
सिर्फ एक अपवाद को जन्म देना हुआ ।
वीरो की धरा- राजस्थान
राजस्थान का ईतिहास तो वैसे भी वीरो से
भरा पडा है फिर अगर लिस्ट बनाने जाये
तो आप थक जायेगेँ पर नाम शायद खत्म
ना हो हर क्षैत्र हर पग पर एक वीर का कर्ज
है जिन्होने शायद उस समय तब तक लडाई
लडी जब तक सर धड पर था ।
कयी बार तो जब मै अपने ईतिहास से जुडे
लेखको की किताबे पढता हू तब शायद अजीब
सा अहसास होता है।
विचार होता है यह जानकर की वो जानते थे
की वो बिना छल जीत नही पायेगेँ और सामने
वाला छल बीना युध्द करने वाला नही है . फिर
भी लडते थे उस समय उनके मन मे
क्या भावना होगी ? शायद वीरता दिखाने
की या फिर प्रांसगिक रूप मे कहे तो जब
मरना है तो फिर डरना कैसा गुलामी क्यू
स्विकारे जब आजाद जिये तो आजाद मरेगेँ और
इसी तरह वो लडे हर एक सैनिक, सेनापती,
सांमत, राजा, राणा सब लडे तब तक जब तक
की शरीर मे एक एक खून का कतरा था।
अब शायद वो इतिहास है और वो योध्दा मात्र
किताबो मे बंद मारे गये सैनिक जिन्हे सिर्फ
संख्या बना दिया गया है। शायद इस देश
की जडो मे हि कमी रही है वरना अगर
किसी और देश का इतिहास
ऐसा होता तो वो उसे इतना सहेज कर रखते जैसे
उनके लिऐ वो सब कुछ हो और हम सिर्फ उसे
नष्ट करना जानते है ।
शनिवार, 26 जुलाई 2014
राजा का नाम
चयन
प्रेम सीमाएं नहीं जानता, जब भी होता हैं बे-हद होता हैं।सही और गलत के तथाकथित दायरों से परे होता हैं। जब तक रहता हैं इन कसौटियो पर नही समाता। यह सामाजिक रुढियो, कूटनीतियों से दूर बहता हैं। जब हमने भी किया तो बेइंतेहा किया। लेकिन हर पतंग की डोर धरती पर ही होती हैं। हम माने या न माने हमें रहना तो यही हैं। तुमने ही अपने घरवालो के खिलाफ न जाकर उनकी पसंद से शादी कर ली। मैंने भी चाहते न चाहते वही किया। क्या करता चारा भी नहीं था। आज इतने वक़्त बाद जाकर सबकुछ सही हुआ हैं। एक हद तक तुम्हे भुला पाया हूँ, पत्नी को अपना पाया हूँ, एक साल का बच्चा भी हैं, जो अभी सामने खेल रहा हैं। प्यार आज भी तुमसे उतना ही करता हूँ।
फ़ोन बज रहा हैं। Unknown no. हैं लेकिन जानता हूँ तुम ही हो। Answer/Reject बता रहा हैं। तुम ही बताओ किसे चुनु?
शुक्रवार, 25 जुलाई 2014
उत्तरप्रदेश राजनीती
गृहमंत्री चाहें तो उत्तर प्रदेश सरकार
की बखिया यह कह कर उघाड़ सकते हैं
क़ि चूँकि उप्र में सत्तारूढ़ दल
की लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से हार हुई
है तो उसको विधानसभा में मिला जनादेश
भी बेमतलब है। राज्य सरकार को बर्खास्त
करने की नई मुहीम के लिए संविधान
खंगालने की जरुरत भी नहीं होगी, पूर्व में
१९७७ में जनता पार्टी की जीत के बाद
कई राज्यों की कांग्रेस सरकारें
तत्कालीन गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह ने
यही कह कर बर्खास्त करने की नीति चल
दी थी।
# छोटा_मुंह_और_बड़ी_बात
भगवान की माया
अभी सावन चल रहा है !
बचपन से मतलब की जब से समझदार हुऐ
पिताजी की नकल करके सावन के उपवास
रखते थे. उस समय हम भक्ति नही सिर्फ
साबुदाना की खिचडी की खातिर ये सब
करते थे.समय के साथ साथ जब बडे तो शायद
भक्ति का मतलब भी जान गये पर सिर्फ
टीवी पर आने वाले धारावाहिक देखकर
जैसे, जय बजरंगबली,श्री गणेश,रामायण,श्र
ी कृष्णा,हर हर महादेव.
हम अपने फेवरेट भगवान महादेव को चुने
क्यूकी विश्वास था की वो बडे अच्छे है
पर गुस्साये गये तो भैया आप राख.फिर कुछ
दिन कुछ साल गुजरे समाझदार और
सयानेपन की घुट्टि पीकर शायद भूल गये
अपने फेवरेट भगवान को और सवाल उठे मन
की भगवान अगर सबका है तो क्यू
वो सिर्फ उनकी मदद करता है जो उन्हे
ढाई करोड का सोने का हाथ 50 लाख
का सिँहासन 100 करोड का मंदिर दान दे
सकता है फिर जब उस भगवान यह
दुनिया बनाई जिसने आपको और मुझे
बनाया जिसने मौसम धरती आकाश
बनाया भला वो क्यू इन सोने की धातुओ
और कागज के टुकडो मे बिक गया क्या उसे
नजर नहीँ आता की शायद
वो आदमी जो 2 दिन से दर्शन की लाईन
मे एक नारियल लेकर खडा है इस इंतजार मे
की कब अपनी छोटि सी मन्नत पूरी कर
पाये और एक आदमी हैलिकाप्टर से आता है
मर्सिडीज मे बैठता है वीआईपी गेट से अंदर
जाकर भगवान को एक करोड रूपये का चैक
चढाता है
इन दोनो मे भगवान भला क्यू अंतर
करता है. आप कहेगे भगवान नहीँ इंसान
करता है अंतर फिर भगवान क्यू
तमाशा देखता है । क्या उस आदमी के पास
एक करोड का चैक नही इसलिये ना ?
और यही बात हमको खटकी. बस यही बात
पर हम चल पडे नास्तिकता की राह पर
कहने लगे कहा का भगवान कौनसा भगवान
अबे कोई भगवान नही होता यहा
पर शायद जीवन को खुद से मतभेद रखने
का बडा चाव है ! अचानक एक के बाद एक
कुछ ऐसी घटनाये घटी की उस उम्र मे जब
बाकी सब लौँडे लडकिया ताडने बाईक
दौडाने मे रूची लेते हम फिर विश्वास
पैदा किये उस ईश्वर के प्रति माने उसे और
स्विकारे उसकी सत्ता और
प्रभुता को क्यूकी तब अपनी औकात
पता चली के आप इतने लायक या समझदार
नही के इंसान से भगवान बन जाये आप
इंसान है और आपकी जात इंसानियत है
जिसके गुण आप छोड नही सकते अब रात
को आपको प्रवचन दे दिये चलो आगे
अगली बार लिख कर बता देगेँ
आपको अभी आप जाकर इनबाक्स मे
जाकर ऐँजल प्रिया को रिप्लाई कर
दिजिये बेचारा उप्स बेचारी बैठी है
इंतजार मे
बलात्कार के मुद्दे पर सोते प्रतिनिधि
एक साहब विधानसभा मे रेप जैसे
संवेदनशील मुद्दे पर बहस के दौरान
अपनी वीआईपी कार मे किये गये सफर से
चढी भारी थकान उतारने के लिये अगर 10
मिनिट सो गये तो आप
सभी स्यापा मचाये हो अरे
वो भी आपकी तरह हि इंसान है जब आप
अपने 4 दोस्तो के बीच यह मुद्दा आने पर
बात पलट देते हो तब आपको याद
नही आता खैर कहे भी किसे जब कोई सूने
तब ना अब भला कौन चाहेगा अपने आप से
सवाल पूछना जब जवाब आप पहले से जानते
है जब प्रजा हि अंधी हो तो काहे काने
राजा मे कमीया खोजते हो
(बहस का मुद्दा न बनाये समझने वालि बात
है )
सोच बयां करते लाइक्स/कमेंट्स
1-2 दिन से इस पेज पर विभिन्न प्रकार
की पोस्ट्स की जा रही हैं। लाइक्स और
कमेंट्स भी हो रहे हैं। लेकिन इनमें एक ट्रेंड
देखने को मिला हैं। जब भी कोई
सामाजिक सरोकार वाली पोस्ट
होती हैं, जिसमें किसी सामाजिक बुराई
पर वार किया जाता हैं लोग ऐसे दूर भागते
हैं जैसे किसी को नंगा देख लिए हो।
लाइक कमेंट तो छोडिये व्यूज तक के लाले
पड़ जाते हैं। जैसे continue reading का बटन
दबाना भारी हो गया हो। इसी जगह जब
आपकी तारीफ़ में कोई पोस्ट
डाली जाती हैं लाइक्स और शेयर्स आने शुरू
हो जाते हैं।
बात लाइक्स की नहीं हैं, इस पेज
की भी नहीं हैं। हमारी हैं, हमारी सोच
की हैं। क्या हम केवल वही सुनना चाहते हैं
जो हमें अच्छा लगता हैं,
जो हमारी तारीफ़ में हो। फिर चाहे सच
हो या झूठ हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम
बस आत्ममुग्ध हो जाते हैं। वही सच से हम दूर
भागते हैं। जब हमें
आइना दिखाया जाता हैं हम
चेहरा छुपा लेते हैं। हम बदलाव तो चाहते हैं
लेकिन बदलना नहीं चाहते। सच
बोलना तो चाहते हैं लेकिन सच
सुनना नहीं चाहते हैं। क्या वास्तविक
जीवन में भी हम यही तो नहीं करते हैं?
भद्रजनो का खेल
पान गटकने के बाद इहाँ- उँहा पीक कर
सड़कों से छेड़छाड़ करते देसी भद्रजन
या भद्रजनों के खेल के मक्का कहे जाने वाले
लॉर्ड्स में पिच से छेड़छाड़ करते
फिरंगी भद्रजन .. दोनों में भले ही कुछ फर्क न
हो, लेकिन भारत लॉर्ड्स में खम्ब ठोंकने के पूरे
मूड में है !! #Cricket
कलंकित इतिहास के निर्माता
आज आप दुख जताईये और इंतजार किजिऐ
की कल कोई आपके लिऐ दुख जताये पर
फिर शिकायत मत करना की कुछ
किया काहे नाही सिर्फ दुख जता दिये
अरे भैया बीते कल मे एक को बस मे
मारा एक को तेजाब पिलाकर मारा एक
को पेड पर लटकाकर एक को खुलेआम
मारा बनिये उस कालिख भरे इतिहास के
भागीदार जहा आने
वालि पीढिया किसी भी हालात मे
बीते कल पर गर्व नही कर
पायेगी क्यूकी शायद हम उन्हे ना दे पायेगे
कोई ऐसा जो लडा हो गलत के खिलाफ
और मै भी उनमे शामिल आप भी दिजिऐ
पानी बबूल को और आशा किजिऐ
की एक दिन उस पर आम लगेगा।
दिल्ली की राजनीती
दिल्ली में सरकार बनाने, # लोकतंत्र के नाम
पर # शैतान_राजनीति ..!!
आम आदमी पार्टी पर पहले कांग्रेस ने डोरे
डाले तो भाजपा देखती रही और अब
भाजपा आँखें दिखा रही है तो कांग्रेस देख
रही है .. सब के सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे
हैं, किसी को शर्म तक महसूस नहीं होती ..
बहुत हुई सस्ती बेटिकट नौटंकी, अब
विधानसभा भंग करके जल्द महंगे चुनाव होने
ही चाहिए !!