सोमवार, 5 मई 2014

पुराने गानों की जुगाली

रेडियो सीटि पर एक गाना चल रहा है ! मेरे पंसदिदा गानो मे से एक "किसी कि मुस्कुराहटो पे हो निसार. किसी का दर्द मिल सके ते ले उधार . किसी के वास्ते हो तेरे दिल मे प्यार जीना इसी का नाम है " मुझे ठिक से याद नही पर बचपन मे यह गाना हर रोज टीवी के किसी चैनल पर आता था. चैनल का नाम भूल गया अब तो पर जब भी यह गाना सुनता हू आखो के सामने राज कपूर जी आ जाते है एक ब्लेक एंड वाईट इमेज चलने लगती है जिसमे राज कपूर जी गाना गाते हुऐ लोगो मदद करते हुऐ आगे बढते है कही किसी अंधे को रास्ता पार करा दिया किसी सडक किनारे बैठे गरीब से कुछ मीठी गोलिया लेकर आगे जाकर किसी छोटे बच्चे को दे दि बडा हि सच्चा चित्रण लगता है उस समय कि सोच और आज कि सोच का अंतर सिर्फ इतना है अब मान्यताये बदल गयी है हमारी आपकि जीवन कि जरूरते बदल गयी है शायद अब आप और मे जो चाहते है जो पाने कि ख्वाहिश रखते है वो कुछ ज्यादा बडि ओर शायद कभी कभार विशालकाय होति है जो पूरा ना होने पर हम खुद को हर किसी से तौल बैठते है और हताशा और निराशा को अपना लेते है कि जीवन मे अब कुछ बचा हि नही पाने को पैसा चाहिये हर एक को जितना मिले उतना कम है ! हा मानता हू कि पैसा भगवान नही तो क्या भगवान से कम भी नही. पर क्या आप आज के समय मे विचार कर भी सकते है कि मदद किस तरह कि जा सकती है शायद नही क्योकि अब चाहिये बडा घर, बडि गाडि,बडा बैँक बैलेँस और बहुत सारा तनाव,टेँशन,चिँता ताकि आप इन सब के पा लेने के बावजूद एक कप मिठि चाय भी ना पी सके शायद मै भी इसी श्रेणी मे आता हू सफल होने कि महत्वकांक्षा या अतिमहत्वकांक्षा कि उस बिमारी से ग्रस्त हू अब शायद उस गाने कि आगे कि पक्तिया अच्छी लगती है "माना अपनी जेब के फकिर है फिर भी यारो दिल के हम अमीर है ,के मर भी किसी को याद आयेगे.................... " #blog #himanshu

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