शुक्रवार, 25 जुलाई 2014

स्वार्थी सेनाएं

अभी हाल ही में फेसबुक पर एक पोस्ट
प्राप्त हुई. समाज से जुडी एक नयी ' सेना'
बनी थी जो भर्ती निकाल रही थी. उस
सेना में शामिल होने के लिए नंबर मांगे गए
थे और अनेक नवयुवक अपने नंबर कमेंट कर रहे
थे. मैंने नादानी से पुछ लिया कि "भैया ये
सेना आखिर करेगी क्या?" तो सारे
नवचयनित सैनिक टूट पड़े और अपने शब्द
भेदी बाण चलाने लगे.
जहाँ तक मेरा ज्ञान हैं भगवान राम
की वानर सेना थी जिन्होंने दुष्ट
राक्षसों का संहार किया था. भगवान
शिव के गण थे जो जी-जान से शिव
जी की रक्षा करते थे. महाराणा प्रताप
की सेना थी जिन्होंने मुगलों की ईट से ईट
बजा दी थी और वर्तमान में देश की सेना हैं
जो देश की रक्षा में जुटी हुई है. आखिर
आपकी सेना क्या करती हैं?
आप कहते हैं धर्म की रक्षा! लेकिन सबसे
ज्यादा धर्म की बारह तो आपने खुद
बजा रखी है. और आप अपने धर्म
की रक्षा करते कैसे हैं? दुसरे धर्म
को हानि पहुंचा कर ! जब अखबार में
आता हैं कि फला सेना के युवको ने
फला धर्म के युवक
को पिटा तो क्या इससे हमारे धर्म
का सम्मान बढ़ता होगा? नहीं इससे
तो केवल आपका अहम् तुष्ट होता है.
आपकी सेना का अन्य प्रयोग होता हैं
राजनितिक पार्टियों की महत्वकांशाओ
की खातिर रखे जाने वाले बंद के दौरान
दुकानों के शटर बंद करवाने और
लोगो को धमकाने के लिये. तब ये सेनिक
लट्ठ लेकर निकल जाते हैं और आमजनों के
सामने दादागिरी दिखाते है.
इसके आलावा आपकी सेना के ब्रांड नेम
का प्रयोग ट्राफिक सिग्नल और
पार्किंग लोंज में होता हैं जब इन
सैनिको से पार्किंग फीस या चालान
माँगा जाता हैं, तब ये बड़े गर्व से कहते हैं
'अबे तू जानता नहीं हैं मैं फला सेना से हूँ'.
अगर सामने वाला समझदार हो तो इन्हें
ससम्मान जाने देता हैं वरना फिर ये अपने
सेनापति को फोन लगाते हैं
जो किसी पुलिस अधिकारी को और
अंततः उस हवलदार को एक फोन आता हैं
और वो बेचारा हाथ जोड़कर इन्हें जाने
देता है.
इसके अलावा भी इस सेना का उपयोग
इसके चयनित सैनिको को कालेज में
एडमिशन, पास करवाने,
सरकारी नौकरी दिलाने इत्यादि हेतु
सेटिंग बिठाने हेतु किया जाता है.
मेरा प्रश्न ये हैं कि अगर इनके 'सैनिको'
को समाज या देश की सेवा ही करनी हैं
तो ये आर्मी क्यों नहीं ज्वाइन करते? जब
इन तथाकथित सेनाओ का समाज, देश और
धर्म के लिए कोई उपयोग हैं
ही नहीं तो क्यों ये हमारे धर्म और इश्वर
की आड़ लेते हैं?

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