शनिवार, 26 जुलाई 2014

राजा का नाम

राजा का नाम एक बार की बात हैं एक जंगल था। उस जंगल में अनेक प्रकार के जानवर रहते थे लोमड़ी, हाथी, खरगोश इत्यादि। लेकिन उस जंगल में एक भी शेर नहीं था। एक दिन उस जंगल में एक शेर आया। शेर का नाम था- बब्बरसिंह। उसे पता चला की जंगल में और कोई शेर नहीं हैं। उसे एक लोमड़ी मिली। लोमड़ी ने कभी शेर नहीं देखा था तो लोमड़ी ने पुछा, तुम कौन हो? शेर ने कहा, मैं शेर हूँ और क्योंकि तुम्हारे जंगल में कोई भी और शेर नहीं हैं इसलिये आज से मैं इस जंगल का राजा हूँ। लोमड़ी बहुत खुश हुई कि चलो राजा मिल गया। लोमड़ी ने शेर से पुछा कि तुम्हारा नाम क्या हैं? शेर ने सोचा कि अगर गब्बरसिंह नाम बताया तो हो सकता हैं लोमड़ी डर जाए। शेर ने लोमड़ी की प्रवृति को देखते हुए कहा, मेरा नाम तेजसिंह हैं। लोमड़ी खुश होते हुए चली गई। लोमड़ी ने अपनी 'जात वालो' को बुलाया और कहा कि जंगल का नया राजा आया हैं और उसका नाम 'तेजसिंह' हैं। सभी लोमड़िया भी खुश हो गई कि चलो राजा मिल गया। अगले दिन शेर को हाथी मिला। उससे भी शेर ने जंगल का राजा होने की बात कही। जब हाथी ने नाम पूछा तो शेर ने हाथी की प्रवृति देखते हुए अपना नाम गजसिंह बताया। हाथी ने भी अपनी 'जात वालो' को बुलाया और कहा कि जंगल का नया राजा आया हैं और उसका नाम गजसिंह हैं। इस प्रकार शेर ने खरगोश, बन्दर, सांप सभी को अपना अलग-अलग नाम बताया और सभी ने वही नाम अपनी 'जातवालो' को राजा का बताया। एक दिन एक लोमड़ी को खरगोश मिला। लोमड़ी ने कहा तुम्हे पता हैं, जंगल का नया राजा तेजसिंह आया हैं? खरगोश ने कहा क्या बकवास कर रही हो? जंगल का राजा तो रफ़्तारसिंह हैं।और इसी बात पर दोनों झगड़ने लगे। जब हाथी ने उन्हें लड़ता देखा तो उसने पूछा क्या हुआ लड़ क्यों रहे हो? लोमड़ी ने कहा हाथी भाई मैं इससे कह रही हूँ कि जंगल का राजा तेजसिंह हैं तो ये कहता हैं कि जंगल का राजा रफ़्तारसिंह हैं। हाथी ने कहा तुम दोनों पागल तो नही हो गए हो? जंगल का राजा तो गजसिंह हैं। अब तीनो लड़ने लगे। धीरे-धीरे जंगल के सारे जानवर राजा के अलग-अलग नाम पर आपस में लड़ने लगे। लेकिन एक 'जात' के जानवर आपस में नहीं लड़ते थे क्योंकि उन्हे राजा का एक ही नाम बताया गया था। धीरे-धीरे यह बात शेर तक पहुंची तो उसने सभी जानवरों को एक साथ इकट्ठा किया और पूछा की तुम सब क्यों लड़ रहे हो? एक हाथी ने पूछा पहले ये बताओ कि तुम कौन हो? शेर को लगा अब असलियत बतानी ही पड़ेगी। उसने कहा मैं जंगल का राजा हूँ शेरसिंह। भालू ने कहा क्यों पागल बना रहे हो? जंगल का राजा तो मधुसिंह हैं। सभी जानवर चिल्लाने लगे। जंगल का राजा ये हैं, वो हैं। सभी 'जात वालो' के नेता चुप ही रहे। उन्होंने सोचा अगर इन्हें पता चल गया कि यही शेर जंगल का राजा हैं तो फिर हमारी बात कौन मानेगा? सब शेर की ही सुनेंगे। तभी एक बन्दर बोला ये शेर धोखेबाज हैं और हमारे जंगल का भी नहीं हैं। इसे यहाँ से बाहर निकालो। सभी जानवर सहमत हो गए और शेर को बाहर निकाल दिया। फिर हर 'जात' के नेता ने अपने राजा के नाम से एक मूर्ति बनाई और कहा की आपके राजा तक पहुँचने का यही एक मात्र रास्ता हैं। आज भी सारे 'जानवर' अपने-अपने राजा के नाम की मूर्ति की पूजा करते हैं। लेकिन जब भी किसी दूसरी 'जात' वाले से मिलते हैं तो राजा के नाम पर लड़ते-झगड़ते हैं। "एक 'जात वाले' कहते हैं हमारा राजा 'राम' हैं तो दूसरी 'जात वाले' कहते हैं हमारा राजा 'अल्लाह' हैं तो अन्य 'जात वाले' कहते हैं हमारा राजा 'इसा मसीह' हैं। जब भी कोई इन्हें समझाने की कोशिश करता है की राजा तो एक ही हैं तो उसे मुर्ख और दुसरी 'जात' की तरकदारी करने वाला (Secular) कहा जाता हैं।" सभी अपनी- अपनी मूर्तियों को पूजे जा रहे हैं।....और वो शेर आज भी जंगल के बाहर बैठा हुआ हैं और जो भी मिलता है उससे यही कहता हैं कि "मैं एक ही हूँ....मैं एक ही हूँ।" -Sumit K. Menaria

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