कूटनीति समझ पाना हम आम आदमीयो के
बस का नही पर कुछ एक को लगता है
की यूएन मे वोट करने के पहले इंडिया के
राजदूतो ने कूटनीतिक सलाहकारो ने
नौकरशाहो ने और प्रधानमंत्री के विदेश
नीति सलाहकारो ने रक्षा सचिव, विदेश
मंत्री ने बातचीत नही की और वहा यूएन मे
जाकर बिना पूछे वोट कर दिया अरे कौन
समझाये की भैया वो वार्ड के चुनाव मे
वोट डालने नही गये थे यूएन मे गये थे
जहा हर काम सोच समझ कर
किया जाता है तो आपकी सोच जहा तक
पहुच ना पाये तो क्यू अपनी दिमाग फ्यूज
पडे 0 वाल्ट के बल्ब को जलाने का प्रयास
करते हो
p.s-नीजि रूप मे ना ले अपने अपने विचार
है
आँखे भले हम मीच ले, पर दिन तो न ढलता हैं। सुबह-अख़बार-चाय और कहना, सब ऐसे ही चलता हैं। यह चक्र हैं दुनिया गोल हैं सब वही पर आता हैं। जो करता वो भी भरता हैं, जो देखे वो भी चुकाता हैं। सूरज को दीपक दिखाते, और अंधियारी रात करते हैं। हम कद में छोटे सही, बड़े ख़यालात करते हैं। कोई हो शहंशाह घर का, हम डट कर मुलाकात करते हैं। छोटा मुंह हैं, मगर बड़ी बात करते हैं।
शुक्रवार, 25 जुलाई 2014
कुटनीतिक समझ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें