आज आप दुख जताईये और इंतजार किजिऐ
की कल कोई आपके लिऐ दुख जताये पर
फिर शिकायत मत करना की कुछ
किया काहे नाही सिर्फ दुख जता दिये
अरे भैया बीते कल मे एक को बस मे
मारा एक को तेजाब पिलाकर मारा एक
को पेड पर लटकाकर एक को खुलेआम
मारा बनिये उस कालिख भरे इतिहास के
भागीदार जहा आने
वालि पीढिया किसी भी हालात मे
बीते कल पर गर्व नही कर
पायेगी क्यूकी शायद हम उन्हे ना दे पायेगे
कोई ऐसा जो लडा हो गलत के खिलाफ
और मै भी उनमे शामिल आप भी दिजिऐ
पानी बबूल को और आशा किजिऐ
की एक दिन उस पर आम लगेगा।
आँखे भले हम मीच ले, पर दिन तो न ढलता हैं। सुबह-अख़बार-चाय और कहना, सब ऐसे ही चलता हैं। यह चक्र हैं दुनिया गोल हैं सब वही पर आता हैं। जो करता वो भी भरता हैं, जो देखे वो भी चुकाता हैं। सूरज को दीपक दिखाते, और अंधियारी रात करते हैं। हम कद में छोटे सही, बड़े ख़यालात करते हैं। कोई हो शहंशाह घर का, हम डट कर मुलाकात करते हैं। छोटा मुंह हैं, मगर बड़ी बात करते हैं।
शुक्रवार, 25 जुलाई 2014
कलंकित इतिहास के निर्माता
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