एक साहब विधानसभा मे रेप जैसे
संवेदनशील मुद्दे पर बहस के दौरान
अपनी वीआईपी कार मे किये गये सफर से
चढी भारी थकान उतारने के लिये अगर 10
मिनिट सो गये तो आप
सभी स्यापा मचाये हो अरे
वो भी आपकी तरह हि इंसान है जब आप
अपने 4 दोस्तो के बीच यह मुद्दा आने पर
बात पलट देते हो तब आपको याद
नही आता खैर कहे भी किसे जब कोई सूने
तब ना अब भला कौन चाहेगा अपने आप से
सवाल पूछना जब जवाब आप पहले से जानते
है जब प्रजा हि अंधी हो तो काहे काने
राजा मे कमीया खोजते हो
(बहस का मुद्दा न बनाये समझने वालि बात
है )
आँखे भले हम मीच ले, पर दिन तो न ढलता हैं। सुबह-अख़बार-चाय और कहना, सब ऐसे ही चलता हैं। यह चक्र हैं दुनिया गोल हैं सब वही पर आता हैं। जो करता वो भी भरता हैं, जो देखे वो भी चुकाता हैं। सूरज को दीपक दिखाते, और अंधियारी रात करते हैं। हम कद में छोटे सही, बड़े ख़यालात करते हैं। कोई हो शहंशाह घर का, हम डट कर मुलाकात करते हैं। छोटा मुंह हैं, मगर बड़ी बात करते हैं।
शुक्रवार, 25 जुलाई 2014
बलात्कार के मुद्दे पर सोते प्रतिनिधि
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