प्रेम सीमाएं नहीं जानता, जब भी होता हैं बे-हद होता हैं।सही और गलत के तथाकथित दायरों से परे होता हैं। जब तक रहता हैं इन कसौटियो पर नही समाता। यह सामाजिक रुढियो, कूटनीतियों से दूर बहता हैं। जब हमने भी किया तो बेइंतेहा किया। लेकिन हर पतंग की डोर धरती पर ही होती हैं। हम माने या न माने हमें रहना तो यही हैं। तुमने ही अपने घरवालो के खिलाफ न जाकर उनकी पसंद से शादी कर ली। मैंने भी चाहते न चाहते वही किया। क्या करता चारा भी नहीं था। आज इतने वक़्त बाद जाकर सबकुछ सही हुआ हैं। एक हद तक तुम्हे भुला पाया हूँ, पत्नी को अपना पाया हूँ, एक साल का बच्चा भी हैं, जो अभी सामने खेल रहा हैं। प्यार आज भी तुमसे उतना ही करता हूँ।
फ़ोन बज रहा हैं। Unknown no. हैं लेकिन जानता हूँ तुम ही हो। Answer/Reject बता रहा हैं। तुम ही बताओ किसे चुनु?
आँखे भले हम मीच ले, पर दिन तो न ढलता हैं। सुबह-अख़बार-चाय और कहना, सब ऐसे ही चलता हैं। यह चक्र हैं दुनिया गोल हैं सब वही पर आता हैं। जो करता वो भी भरता हैं, जो देखे वो भी चुकाता हैं। सूरज को दीपक दिखाते, और अंधियारी रात करते हैं। हम कद में छोटे सही, बड़े ख़यालात करते हैं। कोई हो शहंशाह घर का, हम डट कर मुलाकात करते हैं। छोटा मुंह हैं, मगर बड़ी बात करते हैं।
शनिवार, 26 जुलाई 2014
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