रविवार, 3 अगस्त 2014

वीरो की धरा- राजस्थान

राजस्थान का ईतिहास तो वैसे भी वीरो से
भरा पडा है फिर अगर लिस्ट बनाने जाये
तो आप थक जायेगेँ पर नाम शायद खत्म
ना हो हर क्षैत्र हर पग पर एक वीर का कर्ज
है जिन्होने शायद उस समय तब तक लडाई
लडी जब तक सर धड पर था ।
कयी बार तो जब मै अपने ईतिहास से जुडे
लेखको की किताबे पढता हू तब शायद अजीब
सा अहसास होता है।
विचार होता है यह जानकर की वो जानते थे
की वो बिना छल जीत नही पायेगेँ और सामने
वाला छल बीना युध्द करने वाला नही है . फिर
भी लडते थे उस समय उनके मन मे
क्या भावना होगी ? शायद वीरता दिखाने
की या फिर प्रांसगिक रूप मे कहे तो जब
मरना है तो फिर डरना कैसा गुलामी क्यू
स्विकारे जब आजाद जिये तो आजाद मरेगेँ और
इसी तरह वो लडे हर एक सैनिक, सेनापती,
सांमत, राजा, राणा सब लडे तब तक जब तक
की शरीर मे एक एक खून का कतरा था।
अब शायद वो इतिहास है और वो योध्दा मात्र
किताबो मे बंद मारे गये सैनिक जिन्हे सिर्फ
संख्या बना दिया गया है। शायद इस देश
की जडो मे हि कमी रही है वरना अगर
किसी और देश का इतिहास
ऐसा होता तो वो उसे इतना सहेज कर रखते जैसे
उनके लिऐ वो सब कुछ हो और हम सिर्फ उसे
नष्ट करना जानते है ।

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