मंगलवार, 5 अगस्त 2014

कैंडल मार्च

अबे चल न!
क्या करना हैं यार चलके? फ़ोकट में बोर होंगे और टाइम वेस्ट हैं कुछ
नहीं बदलना हैं.
तो हमें क्या बदलना हैं कल सन्डे हैं वैसे भी फ्री ही हैं, अखबार में फोटो भी आ
जाएगा.
कौनसा हमारा आएगा? आना तो लडकियों का ही हैं. टेंसुए टपकाता चहरा.
अखबार में नहीं आएगा तो फेसबुक पर डाल देंगे, कवर फोटो! और
छोरिया भी आएगी, टाइम पास हो जाएगा.
तू मूवी देखने के लिए बोल रहा था उसका क्या?
कौनसा रात रहना हैं, घंटे भर रुकेंगे और फिर वहां से मूवी चले जाएँगे.
ठीक हैं भाई डन.
अगले दिन पाल पर बलात्कार पीडिता के लिए कैंडल मार्च निकाला गया.
बड़ी मात्रा में युवा शामिल हुए.

-सुमित मेनारिया

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