सोमवार, 18 अगस्त 2014

कोचिंग

शहर में एक कोचिंग सेंटर हैं 'शाह कोचिंग क्लासेज' जहां साल भर आपके कोर्स की कोचिंग करवाई जाती हैं। यहाँ की सारी फैकल्टी नार्मल हैं लेकिन एक ख़ास बात हैं कि साल के अंत में एक विशेष गुरूजी आते हैं। किसी को ये नहीं पता हैं कि वो गुरूजी कौन हैं? उनकी बस एक ही क्लास होती हैं और वो भी अंतिम, लेकिन ये गारंटी हैं वो अंतिम क्लास ज्वाइन करने के बाद आप आराम से पास हो जाएंगे। आप पुरे साल उस कोचिंग सेंटर से कोचिंग करते हैं। उस नार्मल फैकल्टी से पढ़ते हैं और उस अंतिम क्लास के लिए पूरी मेहनत करते हैं। लेकिन जब आप अंतिम क्लास ज्वाइन करते हैं तो चौंक जाते हैं! ये क्या? ये विशेष गुरुजी तो आपके पड़ोस वाले 'भंडारी सर' हैं। इनका तो अपना खुद का कोचिंग सेंटर हैं। आप क्या करेंगे? शायद आप अपने सारे दोस्तों को इस बारे में बताएँगे और खुद अगले साल 'भंडारी कोचिंग क्लासेज' ज्वाइन कर लेंगे। लेकिन आप ऐसा नहीं करते हैं। आप अपने दोस्तों को भी इस बारे में नहीं बताते हैं और खुद भी अगले साल वापस वही कोचिंग सेंटर ज्वाइन कर लेते हैं। गुरूजी की विशेष क्लास के लिए.... ------------------------ चलिए अब इसी बात को दुसरे तरीके से समझते हैं। वास्तव में कोई नहीं जानता की वो विशेष गुरु कौन हैं? वो भंडारी सर हैं ये बात तो खूद भंडारी कोचिंग सेंटर के स्टूडेंट्स कहते हैं। शाह कोचिंग क्लासेज के स्टूडेंट्स खुद कभी ये नहीं बताते कि वो भंडारी सर हैं। वे तो ये भी नहीं बताते की वो विशेष गुरु कौन हैं? तो क्या इसका यह मतलब निकाल लिया जाए कि वो भंडारी सर ही हैं और अगर ऐसा हैं तो शाह कोचिंग क्लासेज के स्टूडेंट्स भंडारी क्लासेस से ही कोचिंग क्यों नहीं करते?? काबा में शिवलिंग हैं या नहीं कोई नहीं जानता। लेकिन अगर हैं, तो सारे मुस्लिम जो हज पर जाते हैं, वहां से लौटने के बाद हिन्दू धर्म क्यों नहीं अपना लेते??

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