मंगलवार, 19 अगस्त 2014

पाप या पुण्य

पाप या पुण्य?

(सुमित मेनारिया)

वो मेले में पिंजरा लेकर खड़ा था, पंछियों से भरा पिंजरा। वो उन्हें बेच नहीं रहा था। आप उसे पैसे दीजिये और वो उन्हें मुक्त कर देगा।
"इन्हें उड़ाने से क्या होगा?" मैंने पूछा।
"पुण्य मिलेगा, साहब!"
"और तुम इन्हें वापस पकड़ लाओगे?"
"हाँ जी।" वो धीरे से बुदबुदाया।
"तो तुम्हे पाप नहीं लगेगा।"
"लगेगा लेकिन पापी पेट के लिए सब करना पड़ता हैं।"
मैंने अपनी बंदुक निकाली और उसे गोली मार दी।

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