रविवार, 3 अगस्त 2014

सानिया मिर्ज़ा- सुमित

'गद्दर' से लेकर 'एक था टाइगर' तक भारत-
पाकिस्तान की प्रेमकथाओ पर
जितनी भी फिल्मे बनी सब में हीरो भारतीय
और हीरोइन पाकिस्तानी ही हैं। यह मात्र कोई
संयोग नहीं हैं, फ़िल्मकार जानता हैं कि हम
भारतीय ये कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते
कि एक दुश्मन देश
का लौंडा हमारी छोरी को लेकर भाग जाए।
लेकिन वास्तविक जीवन कोई फ़िल्मकार
नहीं चलाता, ऐसे में जब एक ऐसे खेल
का खिलाडी जिसके एक सामान्य मैच को हम
किसी युद्ध से कम नहीं मानते, हमारी एक
खिलाड़ी जो की खुबसूरत और कई
दिलो की धड़कन रह चुकी हो हो, को ब्याह के
ले जाए तो हम कैसे बर्दाश्त कर सकते? लेकिन
क्या कर सकते थे,जब मिया-
बीवी राजी तो क्या करेगा काज़ी? बस जल
भुन के रह गए, बत्तीसी भिड़ाते रहे।
लेकिन जब उस लड़की को हमारे देश के
किसी राज्य का ब्रांड एम्बेसेडर बनाया और
किसी 'राष्ट्रवादी' नेता ने उसके खिलाफ बयान
दिया तो हमारे अन्दर का जमा लावा बाहर आ
गया और हम शुरू हो गए।
हम विदेशी फोन इस्तेमाल करते हैं ,विदेशी कपडे
शान से पहनते हैं, कुछ दिनों पहले
प्रधानमंत्री द्वारा पाकिस्तान के
प्रधानमंत्री के स्वागत पर हमने जम कर
तालियाँ भिड़ी, क्रिकेट के एक मैच में
सेकड़ा लगाने पर हम करोडो दे देते हैं,
उत्तरप्रदेश के अमिताभ बचन गुजरात के ब्रांड
अम्बेसेडर हैं। वास्तव में बात विदेशी,
पाकिस्तानी, पैसा या दुसरे राज्य के होने
की नहीं हैं, बात हमारे गुरुर की हैं जिसे एक
पाकिस्तानी लौंडा तोड़ के चला गया।
सच्चाई कडवी हैं, और हमेशा होती हैं।

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